सरकारी काम के लेटलतीफी की सबसे बड़ी मिसाल नीलवंडे बांध आखिरकार कल 31 मई 2023 को 53 साल बाद बनकर तैयार हो गया। मंजूरी के वक्त इसकी अनुमानित लागत 7.9 करोड़ रुपये आंकी गई थी लेकिन काम में देरी की वजह से इसके निर्माण लागत बढ़कर 5177 करोड़ रुपये पहुंच गई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बुधवार को इस बांध से पानी छोड़कर इसकी शुरुआत की। इस बांध की मदद से अहमदनगर के छह सूखे इलाकों में पानी की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
निलवंडे बांध लाभ क्षेत्र के किसानों के लिए कल का दिन खुशी का और ऐतिहासिक दिन है। अहमदनगर और नाशिक जिले के अकालग्रस्त क्षेत्र में जीवनदायी साबित होनेवाले निलवंडे बांध से कल पानी छोडने का पहला परीक्षण किया गया ।
साल 1970 अहमदाबाद के महालादेवी गांव में इस परियोजना को स्वीकृति दी गई थी। नौ साल बाद 1979 में इस बांध की जगह बदल कर नीलवंडे पहुंचा दिया गया। नीलवंडे बांध अहमदनगर के अकोले तालुका में परवर नदी पर बनाया गया है। 1970 में इसकी क्षमता 11 टीएमसी तय की गई थी, जो अब घटकर 8.52 टीएमसी रह गई है।
इस बांध से नासिक में सिन्नार के एक हिस्से और अहमदनगर के 6 तालुकाओं में पानी की कमी को दूर करने का लक्ष्य है । असल में बांध का निर्माण कार्य 2014 में पूरा हो गया था, लेकिन इससे जुड़ी नहरों का नेटवर्क तैयार करने में और वक्त लग गया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि निलवंडे बांध से पानी के लिए किसानों को 53 साल तक इंतजार करना पड़ा। अब यह इंतजार इस सरकार द्वारा लिए गए कल्याणकारी निर्णय से ही खत्म हुआ है। इससे राज्य की 6 लाख 8 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचाई के दायरे में आएगी. सरकार किसान, मजदूर और आम लोगों को केंद्र में रखकर काम कर रही है। सरकार ने 11 महीने की अवधि के भीतर 29 परियोजनाओं को तत्काल संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है ।
उपमुख्यमंत्री देवेंन्द्र फडणवीस ने कहा कि निलवंडे परियोजना का लंबा इतिहास रहा है। शुरुआत में 8 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट अब 5,177 करोड़ रुपए का हो गया है । 2017 में इस परियोजना को 2500 करोड़ रुपये की संशोधित प्रशासनिक स्वीकृति दी गई और परियोजना को गति मिली। स्थानीय किसानों और आदिवासियों को विश्वास में लेकर शुरुआती 22 किमी बांध की गति तेज की गई। इस साल के बजट में गोसीखुर्द के बाद सबसे ज्यादा निधी निलवंडे बांध के लिए दी गई है। इसलिए इन बांध नहरों का काम कहीं नहीं रुकेगा। बांध की दाहिनी नहर का काम अगले दो माह में पूरा कर लिया जाएगा ।
भले ही बांध को बनने में 53 साल लग गए, लेकिन ये बांध कई गांवों में पानी की समस्या को दूर करेगा। 68000 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई की समस्या खत्म हो जाएगी। इस बांध के शुरू होने से नासिक और अहमदनगर के बीच के 125 गांवों में पीने के पानी की समस्या खत्म हो जाएगी।