आज देश के हर इलाके में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून पहुंच गया। पूरे देश में मॉनसून के कवरेज की सामान्य तिथि 8 जुलाई है, इस हिसाब से 6 दिन पहले मॉनसूनी बारिश ने पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया है। बारिश की यह उल्लेखनीय प्रगति है, क्योंकि इस साल करीब 7 दिन की देरी से 8 जून को मॉनसून ने दस्तक दी थी।
2022 में भी दक्षिण पश्चिमी मॉनसून 2 जुलाई को पूरे देश में पहुंच गया था, लेकिन 2022 में मॉनसून 29 मई को ही केरल के तट पर पहुंच गया था। इस साल 7 दिन देरी से मॉनसून आया। इस हिसाब से बहुत तेजी से पूरे देश में मॉनसूनी बारिश पहुंच गई है।
मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 24 साल में दक्षिण पश्चिमी मॉनसून 2 और 3 जुलाई को 2000, 2022, 2023 और 2 जुलाई और 3 जुलाई को 2001 और 2009 में पूरे देश में पहुंचा है।
पिछले 24 साल के आंकड़ों को देखें तो पूरे देश में पहले मॉनसून पहुंचने का रिकॉर्ड 2013 का है, जब 16 जून को पूरे देश में मॉनसून पहुंचा था। इस साल 2023 में मॉनसून को सबसे पहले विपर्यय नाम के चक्रवात से बल मिला और उसके बाद उत्तरी बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव वाले क्षेत्र बनने के कारण प्रगति हुई और इससे उम्मीद से पहले देश भर में मॉनसून आने में मदद मिली।
मौसम विभाग ने बयान में कहा है, ‘दक्षिण पश्चिमी मॉनसून राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शेष बचे इलाकों में आज पहुंच गया। इस तरह से यह आज 2 जुलाई 2023 को पूरे देश में पहुंच गया है, जबकि सामान्यतः 8 जुलाई को इसे देश भर में पहुंचना था। यह सामान्य से 6 दिन पहले पूरे देश में पहुंच गया है।’
पिछले सप्ताह मौसम विभाग ने कहा था कि दक्षिण पश्चिमी मॉनसून के लिए जुलाई महत्त्वपूर्ण महीना है, जब दीर्घावधि औसत के 94 से 106 प्रतिशत तक बारिश की संभावना है, लेकिन कृषि के लिहाज से महत्त्वपूर्ण राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, दक्षिण कर्नाटक के अंदरूनी इलाकों, तमिलनाडु, पंजाब और मेघालय के कुछ इलाकों में कम बारिश हो सकती है।
मॉनसून के 4 महीनों में जुलाई और अगस्त अहम होते हैं, जब इस सीजन की कुल बारिश का 60 प्रतिशत पानी बरसता है। मौसम विभाग ने अपने अनुमान में कहा कि मध्य भारत के ज्यादातर इलाकों, दक्षिण प्रायद्वीप, पूर्वी भारत और उत्तर पूर्व और उत्तर पश्चिम भारत में जुलाई में सामान्य से लेकर सामान्य से ऊपर बारिश होने की संभावना है। सामान्य से कम बारिश उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व और दक्षिण पूर्वी प्रायद्वीप के इलाकों में होने की संभावना है।
अलनीनो के बारे में मौसम विभाग ने कहा है कि गणना के मुताबिक जून में इसका असर नहीं रहा है, लेकिन जुलाई में इसका असर हो सकता है। इसके अलावा आने वाले महीनों में इंडियन ओशियन डाइपोल (आईओडी) का सकारात्मक असर रहने का अनुमान है, जो अभी तटस्थ स्थिति में है।
हालांकि मौसम विभाग ने कहा है कि जून में पूरे देश में 10 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जो बड़ा सुधार है क्योंकि जून के मध्य तक करीब 47 प्रतिशत कम बारिश हुई थी। कुल मिलाकर मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि इस साल बारिश सामान्य और दीर्घावधि औसत का 96 प्रतिशत रहेगी, जिसमें 4 प्रतिशत कम या ज्यादा हो सकता है।
मौसम का अनुमान लगाने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल बारिश सामान्य से कम और दीर्घावधि औसत का 94 प्रतिशत हो सकती है। स्काईमेट अपने मॉडल में 5 प्रतिशत कम या ज्यादा का अनुमान देता है। जून से सितंबर में बारिश का दीर्घावधि औसत 870 मिलीमीटर है।