भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार को कहा कि अगले 48 घंटों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (Monsoon) के केरल तट पर दस्तक देने की उम्मीद है। साल में एक बार होने वाली मॉनसून की वर्षा भारतीय अर्थव्यवस्था विशेष रुप से कृषि क्षेत्र के लिए लाइफलाइन है।
IMD के पूर्वानुमान में कहा गया है कि केरल में मॉनसून की शुरुआत से जुड़ी नवीनतम मौसम संबंधी विशेषताएं दर्शाती हैं कि दक्षिण अरब सागर के ऊपर पछुआ हवाएं चल रही हैं। मध्य ट्रोपोस्फेरिक लेवल तक पछुआ हवाओं की गहराई में वृद्धि हुई है और दक्षिण पूर्व अरब सागर, लक्षद्वीप और केरल के तटों को कवर करने वाले क्षेत्रों में बादलों में वृद्धि हो रही है।
IMD ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में अगले 48 घंटों के दौरान केरल में मॉनसून की शुरुआत के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं।’
दक्षिण अरब सागर के कुछ और हिस्सों, पूरे लक्षद्वीप क्षेत्र, मालदीव और कोमोरिन, दक्षिण पश्चिम और मध्य बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों, पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए भी परिस्थितियां अनुकूल हैं।
निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट ने 9 जून के आसपास Monsoon के केरल में दस्तक देने की भविष्यवाणी की थी। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की देरी से शुरुआत महत्वपूर्ण खरीफ फसलों की बुआई में देरी कर सकती है, विशेष रुप से धान की बुआई में देरी हो सकती है।
IMD के अनुसार, सितंबर में समाप्त होने वाले चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान भारत के अधिकांश हिस्सों में जून की बारिश ‘सामान्य से कम’ रहने की उम्मीद है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून आम तौर पर 1 जून को लगभग सात दिनों के मानक विचलन के साथ केरल में प्रवेश करता है।