भारतीय रिजर्व बैंक की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत देश से बाहर जाने वाला धन वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 24.39 फीसदी घटकर 6.9 अरब डॉलर रह गया। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 9.1 अरब डॉलर था।
जून 2024 में समग्र धन प्रेषण साल-दर-साल आधार पर करीब 44 फीसदी घटकर 2.18 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान तमाम श्रेणियों में धन प्रेषण में कमी आई। वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही में बाहर भेजे जाने वाले धन में इजाफा हुआ था क्योंकि एलआरएस के लिए स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के मानकों में संशोधन किया गया था।
केंद्र सरकार ने शिक्षा और उपचार को छोड़कर सभी उद्देश्यों के लिए योजना के तहत धन भेजने पर टीसीएस लगाया था जो एक जुलाई 2023 से प्रभावी होना था। बाद में इसे एक अक्टूबर 2023 तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।
एलआरएस की शुरुआत 2004 में की गई थी जिसके तहत सभी निवासी भारतीय एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख डॉलर तक की राशि को चालू या पूंजी खाते से या दोनों के मिश्रण से नि:शुल्क भेज सकते हैं। शुरुआती चरण में 25,000 डॉलर की राशि तय थी जिसे बाद में बढ़ाया गया।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में दान और उपचार तथा अन्य के अलावा सभी श्रेणियों में धन प्रेषण कम हुआ। सबसे बड़े क्षेत्र यानी अंतरराष्ट्रीय यात्रा में धन प्रेषण पिछले साल की समान अवधि के 4.07 अरब डॉलर से कम होकर 3.8 अरब डॉलर रह गया। इसी प्रकार करीबी रिश्तेदारों के लिए भेजा जाने वाला धन सालाना आधार पर 46 फीसदी गिरकर 98.32 करोड़ डॉलर रह गया।
उपहार श्रेणी के धन प्रेषण में करीब 41 फीसदी कमी आई और यह 81.19 करोड़ डॉलर रहा, जबकि इक्विटी और डेट योजनाओं में निवेश घटकर 31.80 करोड़ डॉलर रह गया। एक वर्ष पहले की समान अवधि में यह 50.37 करोड़ डॉलर था।