प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को संविधान दिवस के अवसर पर देश के नागरिकों से अपने उन संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने का आग्रह किया, जिनका उल्लेख अनुच्छेद 51ए में मौलिक कर्तव्यों पर समर्पित अध्याय में किया गया है। संविधान दिवस समारोह राज्य की राजधानियों समेत और राष्ट्रीय राजधानी में पुराने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में आयोजित हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में प्रस्तावना पढ़ी गई।
मुर्मू के अलावा उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री मोदी, लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा व किरेन रिजिजू और राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश मंच पर उपस्थित थे। कई केंद्रीय मंत्री और संसद के दोनों सदनों के सांसद इस समारोह में शामिल हुए।
अपने भाषण में राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान राष्ट्र की पहचान का आधार है। यह औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और राष्ट्रवादी सोच को अपनाने के लिए मार्गदर्शन करने वाला दस्तावेज भी है। नागरिकों को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भारत के संविधान की शक्ति है कि उनके जैसा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से आने वाला कोई व्यक्ति 24 वर्षों से लगातार सरकार के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘इस संविधान ने मुझ जैसे कई अन्य लोगों को सपने देखने और उस दिशा में काम करने की ताकत दी है।’ नागरिकों को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि मौलिक कर्तव्य हमें सामूहिक रूप से सामाजिक और आर्थिक प्रगति हासिल करने के तरीके पर मार्गदर्शन करते हैं।