महाराष्ट्र में नई ईवी नीति को मंजूरी दे दी गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के मामले में देश में दूसरे स्थान पर रहने वाले इस राज्य का लक्ष्य 2030 तक नए वाहन पंजीकरण में ईवी की हिस्सेदारी को 30 फीसदी तक बढ़ाना है। नई नीति के तहत सरकार 1995 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ चार्जिंग ढांचा मजबूत करने पर जोर देगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक गाडि़यां खरीदने के लिए प्रोत्साहित हों। ईवी नीति-2021 में लगभग 930 करोड़ रुपये का परिव्यय रखा गया था। साल 2024 में देश में कुल ईवी बिक्री में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 12 फीसदी थी।
महाराष्ट्र सरकार के परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय सेठी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य की ओर से प्रोत्साहन पाने के लिए पात्र वाहन श्रेणियों की संख्या को 5 से बढ़ाकर 13 कर दिया गया है। फिलहाल कार, दोपहिया, तिपहिया (माल और यात्री), राज्य परिवहन बसें तथा चौपहिया माल वाहक 10,000 रुपये (दोपहिया वाहन) से लेकर 20 लाख रुपये (ई-बसें) तक की प्रोत्साहन राशि पाने के लिए पात्र हैं। इस सूची में अब भारी वाणिज्यिक वाहनों को भी जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल राज्य परिवहन की बसों को ही सब्सिडी मिलती थी। लेकिन अब निजी बसें भी इसकी पात्र होंगी। ट्रकों के साथ निगमों और महानगर पालिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले उपयोगिता वाहनों को भी ट्रेलर, डंपर एवं कृषि-ट्रेलरों आदि के साथ कवर किया जाएगा।’
लोगों को ईवी के प्रति आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने कई प्रमुख राजमार्गों को ईवी के लिए टोल-फ्री बनाने का भी निर्णय लिया है, जिसमें मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे, समृद्धि महामार्ग (नागपुर हाइवे) और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक या अटल सेतु शामिल हैं। देश के सबसे लंबे समुद्री पुल अटल सेतु से एक साल के भीतर औसतन 23000 वाहन गुजरे हैं। सभी पीडब्ल्यूडी राजमार्गों पर भी चरणबद्ध तरीके से टोल माफ किया जाएगा। टोल माफी ईवी नीति के तहत 1995 करोड़ रुपये के परिव्यय से अधिक होगी।
सेठी ने यह भी बताया कि सार्वजनिक चार्जिंग ढांचे को बढ़ावा देना ईवी पॉलिसी के प्रमुख बिंदुओं में शामिल है। राज्य में खास कर मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या के हिसाब से चार्जिंग इन्फ्रा विकसित नहीं हो पाया है। अब सरकार चाहती है कि शहर के भीतर ही नहीं, राजमार्गों पर भी चार्जिंग इन्फ्रा का विस्तार किया जाए।
उन्होंने बताया कि पेट्रोल पंपों पर चार्जिंग इन्फ्रा विकसित करने के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। प्रत्येक ईंधन स्टेशन पर चार्जिंग पाइंट नहीं बन सकते, लेकिन अनुमान के अनुमान के मुताबिक कम से कम 60 से 70 फीसदी पंपों पर गाड़ी चार्ज करने की व्यवस्था हो सकती है। इसके अलावा, सभी एसटी बस डिपो में भी चार्जिंग इन्फ्रा और सार्वजनिक चार्जिंग के लिए समर्पित पाइंट होगा। यहां एक विशिष्ट क्षेत्र बनाया जाएगा जहां 2 से 3 गाडि़यां एक साथ चार्ज हो सकें। यही नहीं, राज्य सरकार 10 लाख रुपये तक की लागत से नए चार्जिंग स्टेशन शुरू करने की इच्छा रखने वाले सार्वजनिक चार्जिंग ऑपरेटरों को भी सहायता प्रदान करेगी।
सभी नई आवासीय सोसाइटियों को भी अनिवार्य रूप से चार्जिंग इन्फ्रा लगाना होगा। यदि 50 फीसदी निवासी सहमत हों तो मौजूदा सोसाइटियां भी गाड़ी चार्जिंग की व्यवस्था कर सकती हैं। इसके अलावा कमर्शल स्थानों पर भी ईवी चार्जिंग पाइंट देने होंगे। साथ ही बैटरी रीसाइक्लिंग के लिए शहरी विकास विभाग डंपिंग यार्ड और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्रों में पुरानी ईवी बैटरियों की रीसाइक्लिंग के लिए विशिष्ट जोन बनाएगा।
इंटरनैशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में ईवी बिक्री के मामले में देश में उत्तर प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां कुल वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 19 फीसदी रही। इसके बाद 12 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और फिर कर्नाटक रहा, जहां कुल बिक्री में 9 फीसदी ईवी थे। खास यह कि देश की कुल वाहन बिक्री में 40 फीसदी ईवी इन्हीं तीन राज्यों में खरीदी गईं।
महाराष्ट्र आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार, 1 जनवरी, 2025 तक राज्य में सड़कों पर वाहनों की कुल संख्या 4.88 करोड़ थी, जबकि 1 जनवरी, 2024 को यह 4.58 करोड़ दर्ज की गई थी। दिसंबर, 2024 तक राज्य में पंजीकृत बैटरी चालित वाहनों की संख्या 6,44,779 थी, जबकि इससे पिछले साल की इसी अवधि में यह 3,94,337 दर्ज की गई थी।