महाराष्ट्र

महाराष्ट्र: उथल-पुथल के पांच साल

उदाहरण के लिए वर्ष 2023 में 41 दिन विधान सभा चली। उस दौरान राष्ट्रीय औसत 23 दिन का रहा। महाराष्ट्र विधान सभा की एक बैठक औसतन 7 घंटे तक चली।

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- October 29, 2024 | 11:36 PM IST

महाराष्ट्र में 15वीं विधान सभा के चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को होगा। राज्य की 14वीं विधान सभा के नवंबर 2019 से जुलाई 2024 के कार्यकाल में कई घटनाक्रम ऐसे हुए जो काफी चर्चा में रहे।

इस दौरान राज्य में तीन मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली। इनमें 2019 के विधान सभा चुनाव में शिवसेना-भाजपा गठबंधन की जीत के बाद भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

कुछ समय बाद ही दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन यह सरकार भी ज्यादा दिन नहीं चल पाई और अब शिवसेना दोफाड़ हो गई तथा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का एक धड़ा भाजपा के साथ जा मिला। राज्य में एक ही कार्यकाल में तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाई गई।

राज्य विधान सभा में कुल 288 विधायकों में से 53 या 18.4 प्रतिशत मंत्री रहे। इनमें से केवल नौ ने ही पूरे चार साल या इससे अधिक का कार्यकाल मंत्री के तौर पर पूरा किया। सात मंत्री साढ़े तीन या चार साल तक ही अपने पद पर रहे, जबकि तीन मंत्रियों ने केवल 2.5 से 3.5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

इनमें 31 मंत्री ऐसे रहे जिन्होंने 1.5 से 2.5 साल तक पद पर बने रहे, जबकि तीन मंत्रियों का कार्यकाल तो डेढ़ वर्ष से भी कम रहा। बड़ी बात यह कि 120 से अधिक विधायकों (42 प्रतिशत) को 2022-23 के बीच अयोग्यता की कार्यवाही का सामना करना पड़ा।

फरवरी 2021 में विधान सभा अध्यक्ष नाना पटोले ने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद विधान सभा की कार्यवाही लगभग एक साल तक बिना अध्यक्ष के ही चलती रही। इस दौरान विधान सभा उपाध्यक्ष ने कामकाज संभाला। इसके बाद जुलाई 2022 में सरकार बदलने के साथ ही राहुल नार्वेकर को नया विधान सभा अध्यक्ष बनाया गया। 14वीं विधान सभा में कुल 136 दिन या प्रति वर्ष औसतन 27 दिन कामकाज हुआ। यह राष्ट्रीय औसत से बेहतर प्रदर्शन है।

उदाहरण के लिए वर्ष 2023 में 41 दिन विधान सभा चली। उस दौरान राष्ट्रीय औसत 23 दिन का रहा। महाराष्ट्र विधान सभा की एक बैठक औसतन 7 घंटे तक चली।

पारित हुए विधेयक

अच्छी बात यह रही कि जहां अन्य राज्य विधान सभाओं में विधेयकों को पेश होने वाले दिन ही पारित कर दिया जाता है, वहीं महाराष्ट्र विधान सभा में प्रस्तावित कानूनों पर विधायकों, मंत्रियों ने काफी विचार-विमर्श किया।

महाराष्ट्र विधान सभा में 18 प्रतिशत विधेयकों को पेश होने वाले दिन ही पारित कर दिया गया जबकि 17 प्रतिशत को अगले दिन पास किया गया तथा 35 प्रतिशत विधेयकों को पास करने में 2 से 5 दिन का समय लगा तो 25 प्रतिशत विधेयकों को 5 से 10 दिन लगे।

दस दिन से अधिक में पास होने वाले विधेयकों की संख्या 5 प्रतिशत रही और नौ विधेयाकों को गहन विचार-विमश के लिए संबंधित समितियों के पास भेजे गए।

कुल पास होने वाले विधेयकों में लगभग 50 प्रतिशत स्थानीय प्रशासन और शिक्षा से संबंधित रहे। इनमें शिक्षा से संबंधित विधेयकों की संख्या 24 प्रतिशत थी, जबकि वित्त और करों से संबंधित 11 प्रतिशत विधेयक थे। इसके अलावा प्रशासन और कार्मिक विभाग से ताल्लुक रखने वाले 10 प्रतिशत, सहकारिता के 7 प्रतिशत, गृह और शहरी मामलों वाले 5 प्रतिशत, कानून और न्याय व्यवस्था से जुड़े 5 प्रतिशत तथा 13 प्रतिशत विधेयक अन्य मामलों से जुड़े थे।

जो विधेयक पास हुए उनमें प्रमुख रूप से शक्ति विधेयक 2020 रहा, जिसमें महिलाओं और बच्चों से संबंधित दुष्कर्म और एसिड हमलों जैसे चुनिंदा अपराधों में सजा बढ़ाने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा मराठा समुदाय को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाला कानून भी प्रमुख है।

स्रोत : पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च

First Published : October 29, 2024 | 11:27 PM IST