अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चे समायरा और कियान राज कपूर ने अपने दिवंगत पिता संजय कपूर की संपत्ति में हिस्सेदारी के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। संजय कपूर का इस साल की शुरुआत में लंदन में निधन हो गया था। वह सोना कॉमस्टार के मानद चेयरमैन थे। जून में लंदन में एक पोलो मैच खेलते समय दिल का दौरा पड़ने से उनका देहांत हो गया था।
संजय कपूर की अभिनेत्री करिश्मा कपूर से शादी हुई थी और उन दोनों के बच्चों समायरा (20) और कियान राज (15) ने विरासत में हिस्सा मांगा है। साथ ही उन्होंने उस वसीयत को भी चुनौती दी है जिसमें कथित तौर पर सारी संपत्ति उनकी सौतेली मां प्रिया कपूर के नाम कर दी गई है। यह मुकदमा आरके फैमिली ट्रस्ट और सोना कॉमस्टार की प्रवर्तक संस्था ऑरियस इन्वेस्टमेंट्स के खिलाफ है जिसके पास 30,000 करोड़ रुपये की ऑटो कलपुर्जा कंपनी में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की 28 फीसदी हिस्सेदारी है।
बच्चों का आरोप है कि वसीयत (जिस पर मार्च 2025 में हस्ताक्षर होने की बात कही गई है) उन्हें बाहर करने के लिए गढ़ी गई थी और संदिग्ध परिस्थितियों में यह जुलाई में सामने आई।
8 सितंबर को दायर इस मुकदमे में प्रिया, संजय से उनके नाबालिग बेटे, उनकी मां रानी कपूर और पारिवारिक मित्र श्रद्धा सूरी मारवाह, जो वसीयत की निष्पादक होने का दावा करती हैं, के नाम शामिल हैं। वादियों (समायरा और कियान राज) में से हरेक ने अपने पिता की संपत्ति में 5वां हिस्सा, अभिलेखों का अनिवार्य खुलासा और किसी भी तीसरे पक्ष के अधिकारों के सृजन या हस्तांतरण पर निषेधाज्ञा की मांग की है।
याचिका के अनुसार प्रिया ने शुरू में परिवार को बताया था कि कोई वसीयत नहीं है और संपत्ति ट्रस्ट के पास है। बाद में मारवाह ने वसीयत पेश की जिसका समर्थन प्रिया से जुड़े दो गवाहों ने किया। वादी पक्ष का तर्क है कि जून में संजय के अंतिम संस्कार से पहले ही ऑरियस ने प्रिया को 1 करोड़ रुपये प्रति माह के पैकेज पर प्रबंध निदेशक नियुक्त करने के लिए बोर्ड बैठक बुलाई थी और कथित गवाहों में से एक को इसके बाद निदेशक के रूप में शामिल कर लिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जुलाई में संजय की मां रानी कपूर ने प्रिया को डायरेक्टर बनाए जाने पर आपत्ति जताई थी और उन पर दबाव का आरोप लगाया था। अगस्त में सोना कॉमस्टार की सालाना आम बैठक से पहले उन्होंने बोर्ड को पत्र लिखकर दावा किया था कि उन्हें बंद दरवाजों के पीछे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।