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लोक सभा में पेश हुआ जन विश्वास विधेयक 2025, छोटे अपराधों पर जेल की जगह आर्थिक दंड व चेतावनी का प्रावधान

जन विश्वास विधेयक 2025 से मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाकर आर्थिक दंड व चेतावनी पर ध्यान दिया जाएगा, जिससे कारोबारी सुगमता और जीवन यापन आसान होगा।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- August 18, 2025 | 11:06 PM IST

Jan Vishwas Bill 2025: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज लोक सभा में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। यह विधेयक कारोबारी सुगमता और जीवन यापन की सुगमता को बेहतर बनाने के प्रयासों का हिस्सा है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है और अब इसे प्रवर समिति के पास भेजा गया है। समिति के सदस्यों का चुनाव लोक सभा अध्यक्ष करेंगे। समिति अगले संसद सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस विधेयक को तैयार किया है। इसमें 10 सरकारी विभागों और मंत्रालयों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय कानून के तहत 355 प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसमें कारोबारी सुगमता को बेहतर करने के लिए 288 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा जीवन यापन की सुगमता को बेहतर करने के लिए 67 प्रावधानों में संशोधन किया जाएगा। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य मामूली या अनजाने में किए गए उल्लंघन के लिए आपराधिक मुकदमों के बजाय नागरिक जुर्मानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए न्यायिक प्रणाली पर बोझ को कम करना भी है।

इस विधेयक में प्रस्ताव है कि बिना विधायी संशोधन के भी जुर्माने और दंड में हर तीन साल बाद स्वत: 10 फीसदी का इजाफा हो जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि हर बार संसद में नया कानून पारित कराने की आवश्यकता नहीं होगी और दंड को लगातार प्रभावी रखा जा सकेगा।

मामूली उल्लंघन के कुछ मामले में पहली बार अपराध करने वालों को 10 अलग-अलग कानूनों के तहत सूचीबद्ध 76 अपराधों के लिए महज सलाह या चेतावनी जारी की जाएगी। इसी प्रकार कागजी कार्रवाई में मामूली गलतियों के मामलों में जेल भेजे जाने के बजाय आर्थिक दंड या चेतावनी का प्रावधान है। दीर्घकालिक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बार-बार अपराध करने वालों के लिए दंड बढ़ाया भी जाएगा। इसके अलावा सरकारी अधिकारियों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं के जरिये जुर्माना लगाने का अधिकार होगा।

यह विधेयक जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 का दूसरा संस्करण है। यह मामूली अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने वाला पहला समेकित कानून था। जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 को दो साल पहले अधिसूचित किया गया था।

जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 ने 19 सरकारी विभागों और मंत्रालयों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।

पहले कई कानूनों में मामूली एवं प्रक्रियागत चूक के मामलों के लिए कारावास, कम जुर्माने व दंड के प्रावधान थे। इससे सरकार के प्रति डर और अविश्वास का माहौल पैदा हो गया था। मगर कानूनों में बदलाव किए जाने से यह सुनिश्चित हुआ कि किसी को भी अनावश्यक कारावास नहीं हो अथवा अधिक दंड या जुर्माना न लगाया जाए। जन विश्वास अधिनियम, 2023 में चार कानूनों को शामिल किया गया था जिनमें चाय अधिनियम, 1953, विधिक माप विज्ञान अधिनियम, 2009, मोटर वाहन अधिनियम, 1988, और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 शामिल हैं। मगर इस विधेयक के तहत इन कानूनों के तमाम प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 भारत की नियामकीय सुधार यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। यह न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और सतत आर्थिक  विकास एवं कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देगा।’

First Published : August 18, 2025 | 10:36 PM IST