फार-राइट एक्टिविस्ट लॉरा लूमर
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय IT कंपनियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। फार-राइट एक्टिविस्ट लॉरा लूमर ने दावा किया है कि ट्रंप अमेरिकी कंपनियों को भारतीय फर्मों को काम आउटसोर्स करने से रोकने पर विचार कर रहे हैं। यह खबर भारत के लिए चिंता की बात है, क्योंकि IT सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा है।
लॉरा लूमर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि ट्रंप अमेरिकी IT कंपनियों को भारत को काम देने से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह कदम उठाया गया तो अमेरिका में कस्टमर सर्विस कॉल करने पर अब अंग्रेजी के लिए नंबर दबाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। लूमर ने इसे “मेक कॉल सेंटर्स अमेरिकन अगेन” का नारा दिया।
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अमेरिकी एक्टिविस्ट जैक पोसोबिएक ने भी इस मुद्दे पर आवाज उठाई है। उन्होंने सुझाव दिया कि विदेशी रिमोट वर्कर्स और आउटसोर्सिंग पर टैरिफ लगाया जाए। पोसोबिएक ने कहा कि दूसरे देशों को अमेरिका को सर्विस देने के लिए टैरिफ देना चाहिए, जैसे सामान पर लगता है। उन्होंने इसे सभी इंडस्ट्रीज पर लागू करने की बात कही। व्हाइट हाउस के ट्रेड सलाहकार पीटर नवारो ने भी पोसोबिएक के इस बयान का समर्थन किया। नवारो ने X पर लिखा कि भारत जैसे देशों को आउटसोर्सिंग से अमेरिकी कामगारों की मजदूरी और नौकरियों पर असर पड़ता है।
ट्रंप प्रशासन पहले ही भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50 फीसदी तक टैरिफ लगा चुका है। अगर आउटसोर्सिंग पर भी प्रतिबंध या टैरिफ लगता है, तो भारत के IT सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है। इससे तकनीकी, सपोर्ट और बैकएंड जॉब्स में नौकरियों का नुकसान हो सकता है।
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-अमेरिका रिश्तों पर ट्रंप के बयान का स्वागत किया है। मोदी ने X पर लिखा कि वे ट्रंप के सकारात्मक नजरिए की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गहरी और रणनीतिक साझेदारी है।
शुक्रवार को ओवल ऑफिस से बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि उनके और मोदी के बीच अच्छी दोस्ती है। उन्होंने मोदी को एक शानदार प्रधानमंत्री बताया। हालांकि, उन्होंने भारत के रूस से तेल आयात पर चिंता जताई। फिर भी ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत हैं और कभी-कभी छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं। यह खबर भारत के IT सेक्टर और दोनों देशों के रिश्तों पर असर डाल सकती है।