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व्यक्तिगत स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट दिए जाने के बाद पॉलिसीधारक बीमा पॉलिसियों की खरीद टालने के लिए फ्री लुक पीरियड का विकल्प अपना सकते हैं, जिससे जीएसटी प्रीमियम पर शून्य जीएसटी का लाभ उठा सकें।
बीमा पॉलिसियों में फ्री लुक पीरियड के दौरान पॉलिसीधारक खरीद के 30 दिन के भीतर उसकी समीक्षा कर सकता है और उसे रद्द कर सकता है।
जीएसटी की नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।
जीवन बीमा कंपनी के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘इस बात की संभावना है कि पॉलिसीधारक फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल करें और फिर 22 सितंबर के बाद खरीदारी करें। लोग फ्री लुक के बारे में जानते हैं और यह हो सकता है। प्रोटेक्शन बिजनेस में जीएसटी करीब 18 प्रतिशत है और यह उद्योग में सिर्फ 5 से 6 प्रतिशत है। शेष सेग्मेंट में सिर्फ 4 से 5 प्रतिशत जीएसटी है और इन पॉलिसियों में संभवतः लोग फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल नहीं करेंगे।’
जीएसटी परिषद ने सभी व्यक्तिगत जीवन बीमा पॉलिसियों को जीएसटी से छूट देने का फैसला किया है, जिसमें टर्म लाइफ , यूनिट लिंक्ड (यूलिप) और एंडोमेंट पॉलिसियों के साथ पुनर्बीमा भी शामिल है। इस कदम का मकसद बीमा को और वहनीय बनाना और देश में इसका कवरेज बढ़ाना है।
इसी तरह से सभी व्यक्तिगत स्वाथ्य बीमा पॉलिसियों (फेमिली फ्लोटर और सीनियर सिटीजन प्लान सहित) और उनके पुनर्बीमा पर भी कर छूट दी गई है।
इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) के प्रेसीडेंट नरेंद्र भारींदवाल ने कहा, ‘उपभोक्ता फ्री लुक पीरियड के विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे जीएसटी का लाभ उठाया जा सके। बहरहाल इसकी सलाह नहीं दी जा सकती, क्योंकि इस अवधि के दौरान पॉलिसियों को रद्द किया जाना आसान कवायद नहीं है।’ भारींदवाल ने बताया कि पॉलिसीधारकों को एक ई-मेल भेजना होगा और बीमा कंपनी ग्राहक तक पहुंचने और उसे अपने पास रखने के लिए राजी करने का प्रयास करेगी। इसी तरह से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों का भी मसला है। फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल पैसा बचाने वाला, लेकिन मूर्खतापूर्ण कदम होगा।
वहीं क्विकइंश्योर के सह संस्थापक और सीईओ आनंद श्रीखंडे का मानना है कि लोग फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन संभवतः वे इसका दुरुपयोग नहीं करेंगे। साथ ही यह बुद्धिमत्तापूर्ण नहीं होगा कि फ्री लुक पीरियड का इस्तेमाल जीएसटी लाभ लेने के लिए किया जाए।