ईद-अल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार जैसे-जैसे करीब आता है, कुर्बानी के लिए बकरों की मांग भी बढ़ती जाती है। मगर इस बार महंगाई की ऐसी मार पड़ी है कि बकरे भी किस्तों पर बिक रहे हैं।
त्योहार शनिवार को है और बाजार में बकरों की भीड़ लग गई है। मगर खरीदार मुट्ठी बांधकर चल रहे हैं। यही वजह है कि पहली बार बकरीद पर बकरे ईएमआई पर बिक रहे हैं। बकरों के व्यापारियों के साथ मंडी में साहूकार भी नजर आ रहे हैं, जो हाथोहाथ ईएमआई की सुविधा उपलब्ध करा दे रहे हैं। राजधानी लखनऊ से बरेली तक मुस्लिम बहुल इलाकों में बकरा मंडियां ईएमआई वाले बकरों से गुलजार हैं।
कुछ साल पहले बकरीद पर भैंसे की कुर्बानी का जो चलन शुरू हुआ था, उस पर भी महंगाई की छाप दिख रही है। कुर्बानी के लिए भैंसे के हिस्से बेचे जाते हैं, जो तेजी भी पकड़ रहा है। लखनऊ के प्रमुख कसाई मुहल्ले बिल्लौचपुरा में जगह-जगह बैनर लगे हैं, जो कुर्बानी के हिस्सों की बिक्री का इश्तहार कर रहे हैं। लोग वहां बड़ी तादाद में पहुंच भी रहे हैं।
बहरहाल बकरों की मंडी पर इस बार ईएमआई के साथ ही शबाब आ रहा है। बकरे खरीदने पहुंचे जिन लोगों को मामला हैसियत से बाहर का लग रहा है, वे बतौर जमानत साहूकारों को बैंकों के पोस्ट-डेटेड चेक दे रहे हैं और पसंदीदा बकरा घर ले जा रहे हैं।
लखनऊ के पुराने इलाके चौक और पुरानी फूल मंडी के पास लगने वाले बकरा बाजार में लोग छोटे जानवर ले रहे हैं या किस्त चुकाने को राजी हो रहे हैं। पुरानी फूल मंडी के पास बकरे बेचने बैठे शमसाद बताते हैं कि बाजार में 18,000 रुपये से 3 लाख रुपये तक के बकरे हैं मगर सबसे ज्यादा बिक्री 12 से 18 किलोग्राम वजन वाले बकरों की ही हो रही है। वह कहते हैं कि खुदरा बाजार में ही बकरे का गोश्त 800 रुपये किलो बिक रहा है, इसलिए कुर्बानी के बकरे और भी महंगे बिक रहे हैं। फिर भी बाजार में पिछले साल से ज्यादा खरीदार हैं।
रुहेलखंड में बरेली के पास देवचरा बकरों का मशहूर बाजार है। वहां बिक्री कर रहे राजेश सिंह बताते हैं कि बकरीद पर इस बार बकरा महंगा है और आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रहा है। इसीलिए किस्तों पर बकरा काफी लोग पसंद कर रहे हैं। बरेली के जिन बाजारों में बकरा किस्तों पर मिल रहा है वहां या तो ब्याज नहीं लिया जा रहा या बहुत कम लिया जा रहा है।
लखनऊ के बकरा व्यापारी अतीक-उर-रहमान कहते हैं कि इस्लाम में ब्याज हराम है और बकरीद के त्योहार पर तो बिल्कुल नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग ईएमआई पर ब्याज नहीं ले रहे हैं मगर किस्तों पर बकरे अपनी जान-पहचान वालों को ही दे रहे हैं। अतीक का कहना है कि महंगाई के दौर में भी व्यापारी खासी रकम खर्च कर और दूर से बकरे खरीदकर मंडी में लाए हैं। लोगों मे भी कुर्बानी का खूब उत्साह है और महंगाई के कारण नकद लें, किस्त में लें या हिस्से लें लेकिन बिना लिए मायूस कोई नहीं लौट रहा।
राजधानी लखनऊ, कानपुर और बरेली सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में बीते एक महीने से बकरा मंडी सज रही है। सबसे ज्यादा मांग 30,000 रुपये तक कीमत वाले बकरों की है। बाजार में देसी, घरेलू पालन, पहाड़ी, जमनापारी, बर्बरी, झखराना, संगमनेरी और करेली प्रजाति के बकरे बिक रहे हैं।