हाल ही में UN एजेंसी की रिपोर्ट में बताया गया कि भारत अब आबादी के माामले में चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में नंबर 1 बन गया है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत की कुल आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा युवाओं का है। इसमें भी सबसे ज्यादा आबादी 15 से 24 साल के बेहद युवा लोगों की है।
आंकड़ों के हिसाब से देखें, तो इनकी संख्या करीब 25.4 करोड़ होती है। दोनों देशों में जन्म दर को देखें, तो भारत चीन से कहीं आगे नजर आता है। भारत में जहां एक महिला 2 बच्चों को जन्म देती है, वहीं चीन में 1.2 बच्चों को ही मां जन्म दे रही हैं।
ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले सालों में भारत की युवा आबादी चीन की युवा आबादी को पीछे छोड़ देगी। बहरहाल, एक्सपर्ट्स इस बात पर एक मत नहीं हो पा रहे हैं कि केवल भारत में युवा आबादी बढ़ने से जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) देखने को मिलेगा।
क्या है जनसांख्यिकीय लाभांश?
आप सोच रहे होंगे कि आखिर जनसांख्यिकीय लाभांश (demographic dividend) है क्या? तो आपको बताते चलें कि demographic dividend बताता है कि किसी देश में जब युवा आबादी ज्यादा होती है, तो देश में इनोवेशन, नए-नए कारोबार खुलते हैं, जिससे देश की आर्थिक प्रगति तेज होती है।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के पास अपनी युवा आबादी का फायदा उठाने का मौका है। लेकिन उनकी काबिलियत को पूरी तरह से उपयोग में लाने के लिए लेबर और भूमि सुधार की जरूरत होगी। बेहतर टेक्नॉलजी, सेविंग, इन्वेस्टमेंट, शिक्षा, और स्किल डेवलपमेंट को ध्यान में रखकर इस दिशा में देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
नहीं चलेगा अकेले युवा आबादी से काम
वहीं, आलोचकों का मानना है कि भले ही भारत के पास बड़ी युवा आबादी हो लेकिन एजुकेशन की क्वालिटी और स्किल के मामले में वे चीन से कमतर हैं।
चीन की आबादी भारत के मुकाबले सेकेंडरी एजुकेशन के मामले में आगे है, साथ ही वहां की GDP में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान भी भारत से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि, संख्या बल महत्वपूर्ण है लेकिन लेबर फोर्स की स्किल और उसके कार्य करने की क्षमता उससे भी ज्यादा जरूरी है। क्योंकि उसी से तय हो पाएगा कि क्या युवा आबादी देश को एक बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर काबिज करने में कामयाब होती है या नहीं।
एक्सपर्ट्स ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत को कई सुधार करने की जरूरत है और उनमें लेबर और भूमि सुधार बेहद जरूरी हैं ताकि जनसांख्यिकीय लाभांश की क्षमता का पूरी तरह इस्तेमाल किया जा सके। मैन्युफैक्चरिंग की GDP में हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए। शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
मुमकिन है कि साल 2040 तक भारत के पास युवा आबादी के मामले में लाभांश हो जाए, लेकिन इस बीच सुधार करने जरूरी हैं ताकि हमारी युवा आबादी हमारी लिए वरदान बने, बर्बाद न हो।
