अजरबैजान के बाकू में बीते साल हुई कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप 29) जलवायु के लिए धन मुहैया कराने और अनुकूलन के प्रयासों में विफल हुई थी। जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के कार्यकारी सचिव साइमन स्टील ने पूजा दास और श्रेया जय को ईमेल के जरिये बातचीत में बताया कि सभी देशों की नजरें अनुकूलन पर होंगीं। प्रमुख अंश :
ब्राजील की अध्यक्षता में होने वाले कॉप 30 को किन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
यह अध्यक्ष ब्राजील को तय करना है कि वह किसे प्राथमिकता देते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि इस साल हर देश को नई राष्ट्रीय जलवायु योजना की आवश्यकता है – या राष्ट्रीय निर्धारक योगदान (एनडीसी) की। मजबूत नई योजनाएं यह तय करेंगी कि वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा में उछाल का कितना हिस्सा लोगों और अर्थव्यवस्था के लिए हितकारी होगा। अकेले पिछले साल ही यह उछाल करीब 2 लाख करोड़ डॉलर का था। इसके अलावा नई योजनाओं से नई नौकरियों, बेहतर स्वास्थ्य की पहुंच, सभी के लिए अधिक टिकाऊ व स्वच्छ ऊर्जा की पहुंच और तेजी से जीवन स्तर बढ़ाने में व्यापक मदद मिलेगी। मैं जानता हूं कि हमारे ब्राजील के साथी उस कार्य को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं जो ब्राजील और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने जी 20 की अध्यक्षता में किया है। इससे विकासशील देश जलवायु के लिए अधिक व बेहतर धन प्राप्त कर सकते हैं। वे लाखों करोड़ रकम हासिल कर सकते हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं कि सभी देश इस जलवायु कार्रवाई को मानवीय व आर्थिक फायदे के लिए साझा कर सकें।
क्या यूएनएफसीसी अगले सालाना वैश्विक सम्मेलन में जलवायु अनुकूलन की रणनीतियों व इनके लिए आर्थिक मदद की वकालत करेगा ?
जलवायु अनुकूलन और लचीलापन बढ़ाना संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के लिए बिल्कुल मुख्य कार्य है। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है कि दुनिया की आधी आबादी जलवायु हॉटस्पॉट में रहती है – जो सभी विकासशील देशों में हैं। इन जगहों पर जलवायु प्रभावों से लोगों की मौत की आशंका 15 गुना अधिक है। मुझे उम्मीद है कि कॉप30 और भविष्य के कॉप में जलवायु अनुकूलन पर खास जोर दिया जाएगा क्योंकि हर देश की इसे अपनाने में रुचि है। खासतौर से सबसे गरीब और अत्यधिक जोखिम का सामना कर रहे देशों की रुचि अधिक है। अभी भारत राष्ट्रीय अनुकूलन योजना बना रहा है। इसकी प्रगति पर भारत सरकार के साथ हुई मेरी चर्चा बेहद प्रोत्साहित करने वाली है। दुनिया भारत को जलवायु परिवर्तन की रणनीतियों को अपनाने के मामले में वैश्विक नेता के रूप में देखती है।
भारत के स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य जोरदार हैं लेकिन उसने जीवाश्म ईंधन को कम करने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है। यूएनएफसीसी इसे कैसे देखता है?
मेरा अनुमान है कि आने वाले समय में जीवाश्म ईंधन की जगह स्वच्छ ऊर्जा ले लेगी। इसका कारण यह है कि स्वच्छ ऊर्जा सस्ती है और इसके कई प्रमुख लाभ हैं। इससे सभी के लिए अधिक सुरक्षित व सस्ती ऊर्जा तक पहुंच संभव है। यही नहीं, इससे लाखों नौकरियां सृजित होंगी और स्वास्थ्य के कहीं अधिक फायदे हासिल होंगे। भारत जितनी तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ेगा, उतना ही अधिक उसके लोगों और अर्थव्यवस्था को फायदा होना है। ऐसे में भारत अधिक क्षेत्रीय और वैश्विक फायदा हासिल करेगा।
भारत के मिशन लाइफ व ऐसी पहलों को वैश्विक स्तर पर अपनाए जाने से पर्यावरण की रक्षा होती है? यूएनएफसीसी से चक्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला?
प्रधानमंत्री मोदी का मिशन लाइफ अविश्वसनीय रूप से महत्त्वपूर्ण पहल है। इसका कारण यह है कि इसकी आवश्यकता है और इसके प्रति मैं लोगों की वास्तविक रुचि देखता हूं। लोग बदलते जलवायु को लेकर अधिक सूचनाएं और अधिक मदद की चाहत रखते हैं। इस पहल का एक मजबूत पक्ष यह है कि यह लोगों को जानकारियां साझा करने की अनुमति देती है।