भारत के दो राज्यों तमिलनाडु और गुजरात की अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता 70 गीगावॉट से ज्यादा है, जो मौजूदा 64 गीगावॉट वैश्विक क्षमता से अधिक है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को जी-20 सम्मेलन के दौरान अलग से बात करते हुए कहा कि भारत 4 से 6 महीने पहला अपतटीय पवन ऊर्जा निविदा आमंत्रित करने जा रहा है। भारत 2030 तक चरणबद्ध तरीके से करीब 37 मेगावॉट क्षमता स्थापित करने के लिए बोली आमंत्रित करेगा।
दिलचस्प है कि तमिलनाडु और गुजरात दोनों राज्यों की सरकारें अपनी शुरुआती कुछ परियोजनाओं से करीब 4 रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदने को तैयार हैं। बैठक में हुई चर्चा के मुताबिक 37 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करने में भारत में करीब 100 अरब डॉलर निवेश हो सकता है, जिसमें इसके लिए स्थिति तैयार करने के लिए किया गया निवेश शामिल नहीं है।
वैश्विक पवन ऊर्जा परिषद द्वारा तय किए गए लक्ष्य के मुताबिक 2030 तक विश्व में 280 गीगावॉट और 2050 तक 2,000 गीगावॉट पवन उर्जा उत्पादन की क्षमता स्थापित की जा सकती है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा सचिव भूपेंद्र सिंह भल्ला ने कहा, ‘पहले अपतटीय पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के लिए जल्द ही निविदा जारी हो सकती है।
हमें खुशी है कि तमिलनाडु और गुजरात सरकारों ने कुछ शुरुआती परियोजनाओं से 4 रुपये प्रति यूनिट की बहुत ही प्रतिस्पर्धी दर पर अपतटीय पवन ऊर्जा खरीदने में रुचि दिखाई है। इससे शुरुआती परियोजनाओं को गति देने में मदद मिलेगी। हमने अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के शुरुआती चरण में व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण करने की भी योजना बनाई है।’
बाद में एक और सरकारी अधिकारी ने कहा कि पहली निविदा अगले 4 से 6 महीने में आमंत्रित की जा सकती है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में संयुक्त सचिव दिनेश जगदाले ने कहा, ‘2023 से 2030 तक कई निविदाएं आएंगी, जिनकी भारत में कुल क्षमता 37 गीगावॉट होगी।