बिहार में 2020 में विधान सभा चुनाव तब हुए थे जब देश में कोविड-19 महामारी फैली थी और देश के विभिन्न शहरों से मजदूर-कामगार अपने गांव-घर लौटे थे। उस समय कुल पड़े 4.14 करोड़ वोटों में से केवल 12,768 वोटों ने पूरे चुनावी परिणाम का फैसला किया था। जनता दल यूनाइटेड और भाजपा के नेतृत्व वाले राजग गठबंधन को राज्य की 243 में से 125 सीटें मिली थीं और इस गठबंधन को कुल 37.26 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल नीत महागठबंधन ने 37.23 प्रतिशत वोटों के साथ 110 सीटें जीती थीं। उस चुनाव में राजग को 1.57 करोड़ वोट मिले थे वहीं महागठबंधन को 1.56 करोड़ मतदाताओं का समर्थन मिला था। यदि राजग को उनके गढ़ मिथिलांचल के दरभंगा जैसे जिलों में टूट कर वोट नहीं पड़ते, जहां उसने सभी 9 सीट जीती थीं, तो चुनाव के बाद तस्वीर कुछ और ही होती।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में तीसरी बार बनी राजग सरकार के पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए पूर्ण बजट में और अब बीते शनिवार के बजट में भी पूरा जोर बिहार खासकर मिथिलांचल क्षेत्र पर रहा। वर्ष 2020 में हुए पिछले विधान सभा चुनाव 28 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच तीन चरणों में संपन्न हुए थे और उन पर 2019 की बाढ़, उच्च बेरोजगारी दर एवं आर्थिक मुश्किलों की गंभीर छाया थी। केंद्र सरकार के पिछले और इस बार के बजट में इन मुद्दों को हल करने की कोशिशें साफ झलकती हैं। वर्ष 2024-25 के बजट में राज्य को 59,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इसके माध्यम से बिहार में सड़क संपर्क, बिजली, बाढ़ प्रबंधन में सुधार के साथ-साथ अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को गति देने का लक्ष्य रखा गया था। इसके कई माह बाद पिछले साल 13 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य का दौरा कर लगभग 12,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया था। इसके कुछ सप्ताह बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण स्वयं पटना और दरभंगा गई थीं, जहां उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की समीक्षा की थी और मछुआरों एवं मखाना उत्पादकों को अधिक ऋण देने के लिए उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक को सराहा था। यही नहीं, उन्होंने अपने हाथों से युवाओं को ऋण भी बांटा था। मिथिला आर्ट इंस्टीट्यूट की शिक्षक दुलारी देवी ने इस मौके पर सीतारमण को हाथों से पेंट की गई मधुबनी साड़ी भी भेंट की थी, जो उन्होंने बजट पेश करते समय पहनी। वर्ष 2025-26 के बजट में बिहार के विकास के लिए मखाना बोर्ड, नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी जैसी कई योजनाओं की घोषणा की गई है। इसके अलावा पश्चिमी कोसी नदी परियोजना के लिए 11,500 करोड़ की वित्तीय सहायता का ऐलान भी सीतारमण ने अपने बजट भाषण में किया है।
बजट में बिहार के लिए की गई व्यवस्था का बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष केपीएस केसरी ने स्वागत करते हुए पश्चिमी कोसी नदी परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘बिहार में बाढ़ की समस्या को देखते हुए नहर प्रणाली से बाढ़ के दौरान और उसके बाद पानी को ठीक से संभाला जा सके। यह राज्य की कृषि और आर्थिक स्थिरता के लिए परिवर्तनकारी कदम साबित हो सकता है।’ लेकिन, केसरी ने राज्य के बुनियादी ढांचे में और अधिक निवेश की जरूरत पर बल दिया।
केसरी ने कहा, ‘राज्य के आर्थिक विकास के लिए हमने केंद्र से 10 वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने का सुझाव दिया था। एक बार बिहार आर्थिक सूचकांकों में राष्ट्रीय औसत को छू ले तो फिर यह कमाकर पूरी रकम वापस दे सकता है।’ उद्योग लॉबी ने भी अधिक से अधिक आर्थिक लाभ के लिए गंगा के साथ गुजरने वाले राष्ट्रीय जलमार्ग के पूर्ण विकास की मांग की। केसरी ने कहा, ‘शिक्षा के खेत्र में भी भारी निवेश की जरूरत है।’एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, पटना के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बजट के प्रभाव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहीं अधिक सतर्क दिखे।
उन्होंने कहा, ‘मध्य वर्ग के लिए आय कर में छूट अच्छी बात है, लेकिन बिहार की अधिकांश आबादी गांवों में बसती है और ग्रामीण विकास के बजट में केवल 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इसलिए इससे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अधिक बल नहीं मिलेगा। यह मध्य वर्गीय बजट है। ऐसे राज्य में जहां 11 प्रतिशत जनसंख्या ही शहरों में रहती है और मध्य वर्ग बहुत सीमित संख्या में है, इसलिए इस बजट का असर सीमित ही होगा।’ उन्होंने कृषि चुनौतियों के बने रहने की ओर संकेत करते हुए कहा, ‘बिहार में कृषि विकास का खाका संघर्ष कर रहा है और इससे जुड़ी समस्याएं आगे भी बरकरार रहेंगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के लिए केंद्र से मिलने वाले धन में 1 प्रतिशत की कटौती का असर भी विकास पर पड़ेगा।
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन वित्त मंत्री सीतारमण के मिथिलांचल दौरे के लिए अपनी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय कुमार झा को श्रेय देते हैं, जहां वित्त मंत्री ने मखाना किसानों की चुनौतियों को जाना और समझा।
बीते साल दिसंबर में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने वित्त मंत्री को दरभंगा एयरपोर्ट के आधुनिकीकरण, राजगीर और भागलपुर में नया एयरपोर्ट बनाने तथा रक्सौल एयरपोर्ट को रकम जारी करने का अनुरोध करते हुए विस्तृत पत्र भेजा था। वित्त मंत्री ने बजट में बिहार के लिए ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के लिए सहयोग और स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास के लिए न्यूक्लियर एनर्जी मिशन को 20,000 करोड़ रुपये सहायता देने का ऐलान किया। सरकार का वर्ष 2033 तक पांच ऐसे रिएक्टर चालू करने का लक्ष्य है। लेकिन, इसमें सवाल उठता है कि क्या इनमें से कोई रिएक्टर बिहार में विकसित होगा। बिहार बागवानी विकास सोसाइटी के अनुसार विश्व का 90 प्रतिशत मखाना भारत में होता है। उत्पादन की पारंपरिक विधि के कारण केवल 20 करोड़ टन मखाने का ही निर्यात किया जाता है।
सोसाइटी के अनुसार पिछले नौ वर्षों में बिहार में मखाना की खेती में 171 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जहां वर्ष 2012-13 में 13,000 हेक्टेयर में मखाना होता था, वहीं 2021-22 में यह बढ़ कर 35,224 हेक्टेयर हो गया।