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‘14 घंटे काम’ का प्रस्ताव, बेंगलूरु में सड़क पर उतरे आईटी के सैकड़ों कर्मचारी

मौजूदा कानून में प्रत्येक कर्मचारी के लिए हर रोज ओवरटाइम मिलाकर केवल 10 घंटे काम करने का नियम है।

Last Updated- August 04, 2024 | 10:33 PM IST
‘14 घंटे काम’ का प्रस्ताव, बेंगलूरु में सड़क पर उतरे आईटी के सैकड़ों कर्मचारी IT workers rally in Bengaluru to protest 14-hour workday proposal

आईटी और इससे जुड़ी सेवाओं वाले आईटीईएस उद्योग में कार्यरत सैकड़ों कर्मचारी शनिवार को बेंगलूरु के फ्रीडम पार्क में जमा हुए और कर्नाटक सरकार के दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ आवाज बुलंद की। राज्य सरकार इस अधिनियम में संशोधन के जरिए तमाम प्रतिष्ठानों में पेशेवरों के लिए प्रतिदिन अधिकतम 14 घंटे काम का नियम लागू करना चाहती है।

हाल ही में आईटी उद्योग से जुड़े तमाम हितधारकों के साथ श्रम विभाग की बैठक में 14 घंटे काम का नियम बनाने संबंधी प्रस्ताव रखा गया था। मौजूदा कानून में प्रत्येक कर्मचारी के लिए हर रोज ओवरटाइम मिलाकर केवल 10 घंटे काम करने का नियम है।

अधिनियम में ताजा संशोधन के जरिए इस नियम को पूरी तरह बदल दिया जाएगा। पिछले महीने ही कर्नाटक सरकार स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक लाई थी। उसका भी उद्योग जगत ने कड़ा विरोध किया था, जिस कारण प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी यूनियन (केआईटीयू) ने पहले ही राज्य के श्रम मंत्री संतोष लाड से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया था। शनिवार को उद्योग से जुड़े तमाम कर्मचारियों ने राज्य सरकार के इस कदम को अमानवीय बताकर रद्दी की टोकरी में डालने की मांग उठाई।

केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा ने कहा कि कानून में संशोधन के बाद लागू होने वाला नया नियम आईटी और आईटीईएस कंपनियों को काम के घंटे अनिश्चित अवधि तक बढ़ाने की छूट देगा। प्रदर्शन के दौरान केआईटीयू नेतृत्व ने काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारियों की सेहत पर पड़ने वाले कुप्रभाव से संबंधित कई अध्ययनों का हवाला दिया।

अडिगा ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन कर्मचारियों के मूल अधिकारों और व्यक्तिगत जीवन जीने के अधिकारों का हनन है और यूनियन इस नियम को लागू करने का विरोध करेगी। उन्होंने सरकार से यह प्रस्ताव वापस लेने का अनुरोध किया और सरकार को आगाह किया कि यदि इस नियम को किसी भी तरीके से लागू किया गया तो आईटी सेक्टर के कर्मचारी इसका कड़ा विरोध करेंगे।

हाल के वर्षों में आईटी सेक्टर में तनावपूर्ण कार्य संस्कृति की समीक्षा की बात उठती रही है, क्योंकि इससे कर्मचारियों के हित ही प्रभावित नहीं हो रहे, बल्कि उनकी सेहत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कई सर्वेक्षणों और अध्ययनों में आईटी सेक्टर के लंबी ड्यूटी के हानिकारक प्रभाव सामने आए हैं।

नॉलेज चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (केसीसीआई) की रिपोर्ट के अनुसार आईटी क्षेत्र से जुड़े 45 प्रतिशत कर्मचारी तनाव जैसी दिमागी परेशानियों से जूझ रहे हैं और 55 प्रतिशत को शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। काम के घंटों में बढ़ोतरी होने से उनकी स्थिति और बदतर हो जाएगी।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में आईटी कर्मी एक दिन में औसतन 9 घंटे और सप्ताह में 52.5 घंटों से अधिक काम करते हैं। अन्य देशों के मुकाबले यह बहुत अधिक है, जहां केवल सप्ताह में 36 से 40 घंटे काम करने का ही नियम है। यूनियन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट भी कहती है कि काम के घंटे और बढ़ने पर कर्मचारियों में स्ट्रोक का 35 प्रतिशत और दिल से जुड़ी बीमारी का खतरा 17 प्रतिशत बढ़ जाएगा।

यूनियन ने विरोध प्रदर्शन और तेज करने के लिए पूरे बेंगलूरु में गेट मीटिंग और नुक्कड़ सभाएं आयोजित कीं, जिसमें हजारों कर्मचारी शामिल हुए। कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी यूनियन ने इसी साल 13 मार्च को श्रम मंत्री को ज्ञापन सौंप कर आरोप लगाया था कि आईटी और आईटीईएस कंपनियों ने ओवरटाइम देना बंद कर दिया है और वे काम के घंटे धीरे-धीरे बढ़ाती जा रही हैं। यूनियन ने सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी।

First Published - August 4, 2024 | 10:33 PM IST

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