सभी राजनीतिक दलों में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के सांसदों की 17वीं लोक सभा में उपस्थिति सबसे ज्यादा और आम आदमी पार्टी (आप) के सासंदों की सबसे कम रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के विश्लेषण में यह बात उभर कर सामने आई है। विशेष बात यह कि पूरे पांच साल के कार्यकाल वाली इस लोक सभा में सबसे कम बैठकें हुईं। इससे पहले केवल चार लोक सभाओं में कम बैठकें आयोजित हुईं, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थीं।
यह पहली ऐसी लोक सभा रही जो पूरे पांच साल बिना उपाध्यक्ष के चली। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 में कहा गया है कि लोक सभा गठन के बाद जितनी जल्दी हो सके, लोक सभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन कर लिया जाना चाहिए।
एडीआर ने ’17वीं लोक सभा में सासदों के प्रदर्शन का विश्लेषण’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। इसमें 521 मौजूदा लोक सभा सदस्यों, पूर्व सदस्यों और एंग्लो-इंडियन नामित सदस्यों की उपािस्थति का विश्लेषण किया गया है।
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि तेदेपा के तीन सांसदों गुंटूर से जयदेव गल्ला, विजयवाड़ा से केसीनेनी श्रीनिवासन और श्रीकाकुलम से राम मोहन नायडू किंजरापू ने लोक सभा की कुल 273 में से औसतन 229 बैठकों में हिस्सा लिया।
माकपा और जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद लोक सभा की क्रमश: 226 और 218 बैठकों में शामिल हुए। लोक सभा में माकपा के 3 और जद(यू) के 16 सांसद हैं। सभी दलों के 559 सांसदों (उपचुनाव में जीते सांसदों समेत) ने औसतन 189 बैठकों में हिस्सा लिया।
आम आदमी पार्टी के दो सांसदों, संगरूर से भगवंत मान और जालंधर से सुशील कुमार रिंकू ने सबसे कम बैठकों में हिस्सा लिया। इन्होंने 17वीं लोक सभा की 273 बैठकों में से औसतन 57 में ही हिस्सा लिया। शिरोमणि अकाली दल के सांसद 87 और सपा के 126 बैठकों में उपस्थिति रहे।
भाजपा के 306 सांसद औसतन 191 बैठकों में मौजूद रहे, जबकि कांग्रेस के 54 लोक सभा सदस्यों ने 206 बैठकों में हिस्सा लिया। 17वीं लोक सभा की कुल 273 बैठकें 17 जून, 2019 से 10 फरवरी, 2024 के बीच आयोजित हुईं। इस दौरान 240 विधेयक पारित किए गए।