भारतीय सेना का जवान | फाइल फोटो
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर लगातार चौथे दिन भी गोलीबारी जारी रही। सोमवार को भारतीय सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि 27-28 अप्रैल की दरम्यानी रात पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा के उस पार से कुपवाड़ा और पुंछ जिले में छोटे हथियारों से जमकर गोलीबारी की। बयान में कहा गया, भारतीय सेना ने भी पाकिस्तान की इस हरकत का मुस्तैदी से करारा जवाब दिया।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। खबरों के अनुसार इस आतंकी वारदात की तह तक पहुंचने के लिए सैकड़ों लोगों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है। पाकिस्तान ने इस घटना में अपना हाथ होने से इनकार किया है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रविवार को पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री एम आई डार से टेलीफोन पर बात की। यी ने कहा कि चीन इस बात पर पाकिस्तान का समर्थन करता है कि पहलगाम आतंकी हमले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
दोनों नेताओं के बीच हुई इस बातचीत का हवाला देकर चीन के सरकार नियंत्रित समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘चीन पहलगाम घटना की तत्काल निष्पक्ष जांच कराने के पक्ष में है। किसी भी तरह का टकराव भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में किसी के भी हित में नहीं है और यह क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए ठीक नहीं होगा।‘
चीन की तरफ से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले कुछ वर्षों की खटास के बाद भारत के साथ उसके संबंधों में सुधार हो रहा है। 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर सैन्य झड़प के बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय ताल्लुकात खराब हो गए थे। इस सैन्य झड़प में भारत और चीन दोनों के सैनिक हताहत हुए थे।
पिछले साल रूस के शहर कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच बातचीत का सिलसिला बढ़ा और इस साल जून में भारतीय पर्यटकों के लिए मानसरोवर यात्रा शुरू करने पर सहमति बन गई। दोनों देश सीधी हवाई सेवा भी जल्द शुरू करने पर विचार कर रहे हैं, जो 2020 में निलंबित कर दी गई थी। दोनों ही देश और अधिक साझा वीजा जारी करने पर भी बातचीत कर रहे हैं।
भारतीय विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि चीन का अब नया रुख उसके ‘दोहरे व्यवहार’ को दर्शाता है। चीन में भारत के राजदूत रह चुके अशोक कांता ने कहा, ‘भारत और चीन के बीच आपसी संबंध सुधारने के लिए हाल में कुछ कदम उठाए गए हैं मगर पहलगाम हमले के बाद उसके सुर फिर से बदले दिखाई दे रहे हैं। भारत इसे नकारात्मक संदेश के रूप में ले रहा है।‘ कांत ने कहा कि चीन दावा करता है कि वह आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करता है और उसने शिनजियांग प्रांत में आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं। कांत ने कहा, ‘चीन का यह दावा खोखला है। क्या चीन ने शिनजियांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की वहां अंतरराष्ट्रीय जांच होने दी थी?’
मानव अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाने वाले लोगों का कहना है कि चीन का शिनजियांग प्रांत मुस्लिम बहुल था मगर अब यहां पुलिस एवं प्रशासन ने काफी सख्ती कर दी है और वहां लोगों को रखने के लिए हिरासत केंद्र बनाए गए हैं।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्राध्यापक (चीन अध्ययन) श्रीकांत कोंडापल्ली कहते हैं, ‘पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और वांग यी के बीच बातचीत के माध्यम से चीन भारत और दुनिया यह संदेश देना चाहता है कि वह पाकिस्तान को नैतिक समर्थन करना जारी रखेगा। चीन ने यह भी संकेत देने की कोशिश की है कि अगर भारत सैनिक कार्रवाई करता है तो उस स्थिति में भी वह पाकिस्तान को अपनी तरफ से हरसंभव मदद करेगा।‘
कोंडापल्ली ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर चीन का यह दोहरा मानदंड है। उन्होंने कहा, ‘वुहान से कोविड-19 महामारी शुरू होने के बावजूद चीन ने इस विषाणु की उत्पत्ति को लेकर अंतरराष्ट्रीय जांच की अनुमति नहीं दी थी।‘
कांता ने कहा कि चीन अगर वाकई मजबूत संबंध स्थापित करना चाहता है तो उसे भारत की चिंताओं को लेकर संवेदनशील होना पड़ेगा। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन के बदले रुख पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं आई है।