Supreme Court bulldozer action: आपराधिक मामलों में शामिल व्यक्तियों के मकानों को राज्य प्रशासनों द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त किये जाने के बीच, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को संकेत दिया कि इस दिशा में दिशानिर्देश जारी किए जा सकते हैं। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तैयार करेगी जो पूरे देश में लागू होंगे। विभिन्न राज्यों में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन के पीठ ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि अदालत ठोस दिशानिर्देश तैयार कर सके। वरिष्ठ वकील नचिकेता जोशी को इन प्रस्तावों को एकत्र कर कोर्ट के समक्ष पेश करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पीठ ने कहा कि वह राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर इस मुद्दे का हल तलाशेगी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने सजा के तौर पर किसी का घर गिरा देने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। अदालत ने कहा, ‘किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।’
न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि ध्वस्तीकरण के ऐसे मामलों से बचने के लिए दिशानिर्देश बनने चाहिए और उन्हें सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति गवई ने इस बात पर जोर दिया कि सर्वोच्च न्यायालय किसी भी अनधिकृत निर्माण या अतिक्रमण को संरक्षण नहीं देगा, लेकिन ऐसे कब्जे हटाने के लिए उचित नियमों का पालन किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि किसी व्यक्ति का बेटा गलत हो सकता है, लेकिन यदि इस आधार पर घर गिरा दिया जाता है तो यह बिल्कुल उचित प्रक्रिया नहीं है।
अधिकांश याचिकाएं नई दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अप्रैल 2022 में हुई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ दाखिल की गई थीं। याचियों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, ‘एक बयान दर्ज किया जाए कि पूरे देश में लोगों को बुलडोजर से न्याय नहीं दिया जाएगा।’
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा एक मामले में पहले से दायर हलफनामे में कहा कि सिर्फ इसलिए किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसकी अचल संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार कभी नहीं हो सकता। मेहता ने कहा कि राज्य ने कहा है कि किसी अचल संपत्ति का ध्वस्तीकरण केवल किसी प्रकार के उल्लंघन के लिए और संबंधित नगरपालिका कानून या क्षेत्र के विकास प्राधिकरणों को नियंत्रित करने वाले कानून में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार हो सकता है। पीठ ने कहा, ‘यदि आप इस स्थिति को स्वीकार करते हैं, तो हम इसे दर्ज करेंगे और सभी राज्यों के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे।’