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GST विभाग ने शुरू की तैयारी, नए टैक्स स्ट्रक्चर के लिए सॉफ्टवेयर अपग्रेड पर जोर: CBIC

चूंकि कंपनियां आईटीसी का उपयोग करके टैक्स का भुगतान करती हैं, इसलिए मंथली कलेक्शन में कुछ गिरावट की संभावना

Last Updated- September 04, 2025 | 7:54 PM IST
GST

GST Reforms: सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम (CBIC) चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने गुरुवार को कहा कि जीएसटी विभाग 22 सितंबर से लागू होने वाले नए टैक्स स्ट्रक्चर को सुचारू ढंग से लागू करने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर सॉफ्टवेयर एडवांस बनाने पर काम कर रहा है।

ITC जमा होने की न करें चिंता

अग्रवाल ने यह भी कहा कि उद्योगों को उन वस्तुओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) जमा होने को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है, जिन पर टैक्स की दरों में कटौती की गई है। वे इस संचित आईटीसी का इस्तेमाल टैक्स के भुगतान में कर सकेंगे।

जीएसटी काउंसिल ने बुधवार को आम सहमति से जीएसटी में व्यापक सुधारों को मंजूरी दी। काउंसिल ने 5 फीसदी और 18 फीसदी की दो टैक्स स्लैब वाली स्ट्रक्चर को मंजूरी दी है। इसके अलावा, लक्जरी और अहितकर वस्तुओं पर 40 फीसदी टैक्स लगाने का निर्णय लिया गया है। नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।

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सॉफ्टवेयर एडवांस बनाने पर जोर

अग्रवाल ने एक इंटरव्यू में कहा, “दरों में कई बदलाव हुए हैं। 40 फीसदी की एक नई दर लागू की गई है। हमें विश्वास है कि हमारे पास उपलब्ध करीब दो सप्ताह के समय में हम नए टैक्स और नई शुरुआत के लिए पूरी तरह तैयार होंगे।” उन्होंने कहा कि जीएसटी विभाग ने पहले ही उद्योग जगत से संपर्क कर लिया है और उन्हें सूचित कर दिया है ताकि वे भी अपनी जीएसटी संबंधी सिस्टम को एडवांस कर सकें।

पूरा ITC प्राप्त करने के हकदार

अग्रवाल ने कहा, “वे (उद्योग जगत) इन बदलावों को अपने इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सिस्टम्स में भी शामिल कर सकते हैं, ताकि शुरुआत सुचारू रूप से हो और इसमें कोई गड़बड़ी न हो। हमें इस बात का पूरा भरोसा है।” फंसे आईटीसी से जुड़ी उद्योग की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा कि ऐसी वस्तुओं के वितरक इनपुट (कच्चे माल) पर टैक्स का भुगतान जिस भी रेट पर करते हैं, उस पर पूरा आईटीसी प्राप्त करने के हकदार होंगे।

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जीएसटी कलेक्शन में गिरावट की संभावना

अग्रवाल ने कहा, ‘‘जब वे 22 सितंबर से सामान बेचेंगे या सप्लाई करेंगे, तो नई दरें लागू होंगी। तब वे आईटीसी का उपयोग कर सकेंगे। यह उन्हें रिटर्न दाखिल करते समय टैक्स पेमेंट के लिए उपलब्ध होगा।” उन्होंने कहा कि आईटीसी शायद बहुत कम समय के लिए जमा होगा और उसके बाद यह फिर से सुचारू हो जाएगा।

अग्रवाल ने कहा कि चूंकि कंपनियां आईटीसी का उपयोग करके टैक्स का भुगतान करते हैं, इसलिए मंथली कलेक्शन में कुछ गिरावट आ सकती है। CBIC चीफ ने कहा, “हमें लगता है कि दो-तीन महीनों में कलेक्शन में फिर से तेजी आएगी और रेवेन्यू अपने वर्तमान स्तर पर वापस आ जाएगा।”

(PTI इनपुट के साथ)

First Published - September 4, 2025 | 7:27 PM IST

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