Pesticide Ban: सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई से कुछ दिन पहले, केंद्र सरकार ने 27 कीटनाशकों वाली प्रारंभिक लिस्ट में से चार कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस लिस्ट में विवादास्पद मोनोक्रोटोफॉस शामिल है, लेकिन शर्तों के साथ।
मोनोक्रोटोफॉस के संबंध में, कार्यकर्ताओं और पर्यवेक्षकों का मानना है कि हालिया निर्देश किसानों को विकल्प अपनाने के लिए एक वर्ष का समय देता है ताकि उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़े। आदेश में यह भी कहा गया है कि ‘मोनोक्रोटोफॉस 36 प्रतिशत SL की बिक्री, डिस्ट्रीब्यूशन या उपयोग की अनुमति केवल मौजूदा स्टॉक की एक्सपायरी पीरियड तक निकासी के लिए दी जाएगी।’
पेस्टिसाइड एक्शन नेटवर्क (PAN) ने इस वाक्य की अस्पष्टता पर चिंता व्यक्त की। उन्हें डर है कि इस एक साल की अवधि के दौरान स्टॉक इकट्ठा करने के लिए इसका फायदा उठाया जा सकता है, जिससे इन स्टॉक के समाप्त होने तक मोनोक्रोटोफॉस के लंबे समय तक उपयोग की अनुमति मिल जाएगी। PAN ने एक विशिष्ट निर्देश की आवश्यकता पर बल दिया जो सभी मोनोक्रोटोफॉस फॉर्मुलेशन के निर्माण पर रोक लगाता है।
मोनोक्रोटोफॉस के साथ, जिन तीन कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया गया है, वे हैं डिकोफोल (Dicofol), डिनोकैप (Dinocap)और मेथोमाइल (Methomyl) है। बता दें कि यह प्रतिबंध सरकार द्वारा 29 सितंबर, 2023 की राजपत्र अधिसूचना (Gazette Notification) के माध्यम से लगाया गया है लेकिन यह गैजेट नेटिफिकेशन 6 अक्टूबर, 2023 को पब्लिश हुई।
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हालांकि, हालिया नोटिस में ओरिजिनल 27 प्रतिबंधित कीटनाशकों में से एक कार्बोफ्यूरान (carbofuran) के जिक्र ने कार्यकर्ताओं को हैरान कर दिया है। PAN के एक बयान में स्पष्ट किया गया है, ‘निर्दिष्ट फसल लेबल के साथ कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत एनकैप्सुलेटेड ग्रेन्युल (Encapsulated granule- CG) को छोड़कर कार्बोफ्यूरान के अन्य सभी फॉर्मुलेशन को बंद कर दिया जाना चाहिए।’ इसका मतलब यह है कि कार्बोफ्यूरान तीन प्रतिशत एनकैप्सुलेटेड ग्रेन्युल (CG) पर बैन नहीं लगा है। गौरतलब है कि कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिशत CG फॉर्मूलेशन भारत में पंजीकृत एकमात्र कीटनाशक है।
PAN India ने केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (CIBRC) से इस मामले पर स्पष्टता प्रदान करने का अनुरोध किया है।
मोनोक्रोटोफॉस पर ध्यान केंद्रित करते हुए, PAN ने भारत में कई कीटनाशक पॉइजनिंग की घटनाओं के साथ इसके संबंध का जिक्र किया, जिसमें सबसे खतरनाक 2017 में यवतमाल कीटनाशक पॉइजनिंग (Yavatmal pesticide poisoning) की घटना थी।
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ पेस्टिसाइड पॉइजन्ड पर्सन्स (MAPPP) लगातार इस पर और किसानों और कृषि श्रमिकों के बीच मृत्यु और चोटों से जुड़े अन्य हानिकारक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने की वकालत कर रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने इसके अलावा और चार अन्य कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत सरकार को पत्र लिखा है।
यह मामला मई 2020 के एक सरकारी आदेश से जुड़ा है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा माने जाने वाले 27 खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ये कीटनाशक, कई वर्षों से पॉइजनिंग के लिए जांच के तहत विवादास्पद 66 का हिस्सा हैं, जिसमें 12 कीटनाशक, आठ कवकनाशी (fungicides) और सात शाकनाशी (herbicides), कुल मिलाकर लगभग 130 फॉर्मुलेशन शामिल हैं।
कथित तौर पर, सरकार ने इंडस्ट्री को अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए एक अवधि की अनुमति दी। इसके बाद, प्रमुख इंडस्ट्रीज के कहने पर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व सहायक महानिदेशक टीपी राजेंद्रन के नेतृत्व में एक समिति की स्थापना की गई। कथित तौर पर पैनल ने 27 कीटनाशकों में से केवल तीन पर प्रतिबंध बरकरार रखने का सुझाव दिया, जबकि अन्य को जारी करने की वकालत की।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले कुछ कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि ऐसी समिति का गठन और अस्तित्व पब्लिक डोमेन में अनवेरिफाइड है, जबकि कई अन्य इसकी स्थापना और इसकी रिपोर्ट की उपलब्धता पर जोर देते हैं।
इसके बाद, सरकार ने फरवरी 2023 में ओरिजिनल बैन पर फिर से विचार किया और केवल तीन कीटनाशकों पर प्रतिबंध बरकरार रखा। सिविल सोसाइटी ग्रुप्स ने संशोधित आदेश पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।