भारत जी-20 शिखर सम्मेलन में आने नेताओं के जीवन साथियों के स्वागत के लिए भी तैयार है। इसी क्रम में जब जी-20 नेताओं की पत्नियां शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), पूसा जाएंगी तो उन्हें स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अब तक भारतीय कृषि की शानदार सफलता एवं विभिन्न उत्पादों से साक्षात्कार कराया जाएगा। भारतीय कृषि एवं फसलों की झलक में मोटे अनाज से लेकर फसलों की अत्याधुनिक किस्में भी शामिल की जाएंगी।
सूत्रों ने कहा कि बासमती चावल और बिहार के मखाना को वैश्विक पटल पर रखने में भारत की सफलता और विभिन्न खंडों एवं बागवानी फसलों में देश की उपलब्धियां भी बीज एवं फलों के रूप में प्रदर्शनी के लिए रखे जाएंगे।
आईसीएआर-एनबीपीजीआर में नैशनल जीन बैंक पर भी सभी तथ्यों से 20 नेताओं की पत्नियों को अवगत कराया जाएगा। आईसीएआर-एनबीपीजीआर में इस समय 2,119 प्रजातियों के 4,65,272 जर्मप्लाज्म मौजूद हैं। यूएसडीए के बाद यह वर्तमान में दूसरा सबसे बड़ा जीन बैंक है।
प्रदर्शनी में विभिन्न जलवायु में पैदा होने वाली फसल की नस्लों का भी नजारा प्रस्तुत किया जाएगा। ये सभी ऐसी किस्में हैं, जो खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं।
इस उपलब्धि से भी उन्हें अवगत कराया जाएगा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के भारत ने खेतों में उगाए जाने वाली 7,000 से अधिक फसलों और फल एवं सब्जियों की किस्मों का विकास किया है। इस बात की भी चर्चा की जाएगी कि पिछले नौ वर्षों के दौरान लगभग 2,279 नई किस्में किसानों के लिए जारी की गई हैं जिनमें 1,888 जलवायु अनुकूल किस्में भी शामिल हैं।
इस बारे में एक अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनी में फसलों की किस्मों और नई किस्मों के सटीक विकास के लिए आधुनिक तकनीकें भी दिखाई जाएंगी। प्रदर्शनी में दलहन और तिलहन उत्पादन की दिशा में भारत के तेजी से बढ़ते कदमों की भी चर्चा की जाएगी। प्रदर्शनी देखने आने वाली नेताओं की पत्नियों को इस बात से अवगत कराया जाएगा कि पिछले नौ वर्षों में भारत ने किस तरह दलहन की 343 किस्मों का विकास किया है।
यह बात भी रेखांकित की जाएगी कि किस तरह फसलों की गुणवत्ता में सुधार किया गया है और आईसीएआर ने अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियों और फलों की अधिक पैदावार देने वाली किस्मों की पोषण क्षमता में सुधार कर कितना बड़ी सफलता हासिल की है।
आईसीएआर ने मसालों की 40 उन्नत किस्मों का विकास किया है और 160 किस्में ऐसी भी विकसित की गई हैं जो कीटों एवं रोगाणुओं से लड़ने की पूरी क्षमता रखती हैं।
मशरूम की पैदावार में नई तकनीक का भारत में किसान बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। दुनिया में मशरूम की सबसे लोकप्रिय किस्म शिटाके का भी उत्पादन भारत में छोटे किसान कर रहे हैं। यह भी प्रदर्शनी का एक अहम हिस्सा होगा।
इसके अलावा भारत में विज्ञान आधारित फल एवं सब्जियों, फूलों की खेती और औषधियों पौधों की मदद से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा से जुड़ी बातें भी इन अनोखे मेहमानों के समक्ष रखी जाएंगी। इसके अलावा आईसीटी आधारित बनाना वैल्यू चेन ट्रेसिएबिलिटी सिस्टम भी प्रदर्शित किया जाएगा।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड और जूट उत्पादन, दुग्ध एवं मत्स्य पालन में इसकी सफलता आदि से भी मेहमानों को अवगत कराया जाएगा।