तेलंगाना में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने का अभियान मंगलवार को भी जारी रहा। इससे सुरंगों के निर्माण और पर्यावरण संतुलन पर एक बार पुन: बहस छिड़ गई है। देश में जिस तरह रिकॉर्ड संख्या में सुरंग बन रही हैं, उसे देखते हुए इस उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि योजनाकारों को विकास कार्यों एवं पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संतुलन बनाकर काम करना होगा, जो बहुत बड़ी चुनौती है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बीते दिसंबर में कहा था कि अभी तक राष्ट्रीय राजमार्गों से संबंधित 60.37 किलोमीटर लंबी सुरंगों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और 93.96 किलोमीटर की 57 सुरंगों पर कार्य प्रगति पर है। आंकड़ों से पता चलता है कि सुरंग निर्माण उद्योग इतनी तेजी से कभी आगे नहीं बढ़ा, जितना अब विस्तार ले रहा है। पिछले साल सितंबर में आई क्रिसिल-फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार जैसे-जैसे शहरों की आबादी बढ़ने के साथ जमीन की उपलब्धता चुनौती बनती जा रही है, सुरंग निर्माण कर रास्ते निकालना ही एकमात्र उपाय बचा है। रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2024 तक चार को छोड़कर बाकी 25 बड़ी सुरंग परियोजनाओं का काम या तो पूरा हो चुका है या 2028 तक पूरा हो जाएगा। दोनों संस्थाओं एजेंसियों का कहना है कि देश में सुरंग निर्माण की यह गति आने वाले वर्षों में बनी रहेगी, साथ ही इसमें और तेजी आने की संभावना है।
निर्माणाधीन सुरंगों में कई ऐसी हैं, जो अलग-अलग मामलों में रिकॉर्ड बना रही हैं। जैसे दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग और सबसे लंबी सिंगल ट्यूब सड़क सुरंग भारत में बन रही है। यही नहीं, देश की पहली पानी और समुद्र के भीतर सुरंगें भी अस्तित्व ले रही हैं।
सुरंग परियोजनाओं में तेजी को देखते हुए वेलस्पन एंटरप्राइजेज जैसी कंपनियों ने अपना कारोबार केवल सुरंग निर्माण पर केंद्रित कर लिया है। हाल ही में विश्लेषकों से चर्चा के दौरान कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि परिवहन क्षेत्र के विकास के लिए पूरा ध्यान बीओटी (बिल्ड, ऑपरेट और ट्रांसफर) टोल और बड़े सुरंग निर्माण पर केंद्रित है। कंपनी परिवहन से जुड़े बड़े सुरंग वाले सेगमेंट में 1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं आने की उम्मीद कर रही है। देश की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग फर्म लार्सेन ऐंड टूब्रो (एलऐंडटी), अदाणी समूह द्वारा अधिग्रहीत आईटीडी सीमेंटेशन, दिलीप बिल्डकॉन, कल्पतरु प्रोजेक्ट्स इंटरनैशनल, एफकॉन इन्फ्रास्ट्रक्चर, मेघा इंजीनियरिंग जैसी कुछ बड़ी कंपनियां सुरंग निर्माण परियोजनाओं में काम कर रही हैं। इसके अलावा सड़क, जल, जल-विद्युत एवं परिवहन से जुड़ी परियोजनाओं पर 3.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर रिसर्च के मई 2024 तक के अनुमानों के मुताबिक देश में 3,400 किलोमीटर लंबी 1,470 सुरंगें पूरी हो चुकी हैं और अब परिचालन में हैं। इसके अलावा लगभग 1,750 किलोमीटर लंबी 1,140 सुरंगें अभी पाइपलाइन में हैं।