आदिवासी मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने वित्तीय समावेशन के भारत के जी-20 विजन का उल्लेख करते हुए कहा कि यह वक्त है कि विश्व महिलाओं के विकास और महिला के नेतृत्व में विकास पर ध्यान दे।
कोलकाता में आयोजित वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक भागीदारी (जीपीएफआई) की बैठक के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए मुंडा ने इस सिलसिले में नीतिगत पहल का ब्योरा दिया। इसमें गिरवीं मुक्त कर्ज दिया जाना, एकल खिड़की मंजूरी, अनुपालन और कागजी कार्रवाई सरल बनाना, नवोन्मेषी वित्तपोषण, महिलाओं को वित्तपोषण के लिए बैंकों से अनिवार्य फंडिंग शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘इसमें लैंगिक आधार पर वेतन में भेदभाव दूर करने की कोशिश के साथ महिला उद्यमियों व महिलाओं के नेतृत्व के विकास की कवायद भी शामिल होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि महिलाओं द्वारा स्थापित और उनके नेतृत्व वाले स्टार्टअप को बढ़ावा देने की कवायद करने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें: भारत को अगुआ बनाने के लिए शामिल हों प्रवासी भारतीय
साथ ही कहा कि वित्तीय समावेशन को महिलाओं की आत्मनिर्भरता और उनके वित्तीय व आर्थिक सशक्तीकरण के माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। मुंडा ने कहा कि समग्र विकास के लिए पारिस्थितिकीय संतुलन की जरूरत है।