नवंबर तक के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में हर दिन औसतन 5,739 लोगों को कुत्तों ने काटा है। हालांकि महामारी के बाद से ऐसे मामलों में गिरावट देखी गई है। यदि महामारी पूर्व के स्तर को भी शामिल किया जाए तो औसत में इजाफा हो जाएगा। भारत ने 2019 से 2022 के बीच आवारा कुत्तों के काटने के करीब 1.6 करोड़ मामले दर्ज किए हैं (नवंबर, 2022 तक संसद के आंकड़े)। यानी, हर दिन 10,000 से भी अधिक मामले।
दर्ज किए गए आंकडों की वार्षिक संख्या 2019 के 73 लाख से घटकर 2022 के नवंबर तक 20 लाख से कम हो गई है।
2019 की पशुधन गणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं। पानीपत से लेकर हैदराबाद और लखनऊ से पुणे तक आवारा कुत्तों के हमले, खासकर बच्चों पर हमला करने के मामले इस साल की शुरुआत से सुर्खियां बटोर रहे हैं। पिछले साल केरल में आवारा कुत्तों के हमलों के मामलों के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कुत्ते के खतरे से निपटने और सार्वजनिक सुरक्षा और पशु अधिकारों के बीच संतुलन बनाने को कहा।
आवारा कुत्तों के हमले कुछ राज्यों के लिए दूसरों की तुलना में अधिक समस्या हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि इनमें से लगभग 60 फीसदी हमले 2019 के बाद से उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और पश्चिम बंगाल में हुए हैं। महामारी के बाद से संख्या में गिरावट आई है। 2022 में राज्यवार रैंकिंग में कुछ बदलाव दिखाती है। आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक अब शीर्ष पांच में शामिल हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के मुताबिक, भारत में दुनिया में रेबीज से होने वाली मौतों का 36 फीसदी हिस्सा है, क्योंकि यह दावा करता है कि देश में हर साल 18,000- 20,000 लोग मारे जाते हैं। 30 से 60 फीसदी मामले और मौतें 15 साल से कम उम्र के बच्चों की होती हैं।