नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार अपने कार्यकाल के दौरान 22 राज्यों में विधान सभा चुनाव संपन्न कराएंगे। इसके अलावा 2027 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव भी उन्हीं की देखरेख में होंगे। उनके समक्ष सबसे पहली चुनौती बिहार है, जहां इसी साल के अंत में नई विधान सभा के लिए वोट डाले जाएंगे। वह अगले लोक सभा चुनाव की घोषणा से ठीक डेढ़ महीने पहले 26 जनवरी, 2029 को सेवानिवृत्त होंगे। वह बुधवार को कार्यभार संभालेंगे।
राष्ट्रपति ने विवाद के बीच केरल कैडर के 1988 बैच के आईएएस अधिकारी ज्ञानेश को सोमवार शाम को देश का 26वां मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) नियुक्त किया है। उनके साथ हरियाणा कैडर के 1989 बैच के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को निर्वाचन आयुक्त बनाया गया है। निर्वाचन आयुक्तों के चयन के लिए सोमवार की देर शाम प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की बैठक के बाद दोनों नामों की घोषणा की गई। इस बैठक में लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार से नई चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति टालने का आग्रह किया था। राहुल ने पैनल के समक्ष एक असहमति नोट भी रखा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए नई चयन प्रक्रिया के तहत बने पैनल में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष) के साथ नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और गृहमंत्री अमित शाह सदस्य के रूप में शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि 2023 में बने नए कानून अंतर्गत मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के खिलाफ याचिकाओं पर 19 फरवरी को प्राथमिकता के आधार सुनवाई करेगा। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह के पीठ को बताया कि संवैधानिक पीठ के 2023 में आदेश दिया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल किया जाए, लेकिन सरकार ने इसका उल्लंघन कर लोकतंत्र का उपहास उड़ाया है। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि ऐसे समय में आधी रात को नए सीईसी की नियुक्ति का आदेश जारी करना प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के लिए गरिमा के प्रतिकूल है, जब चयन समिति की संरचना और प्रक्रिया को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है। अपने असहमति नोट को एक्स पर पोस्ट करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर और भारत के प्रधान न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने चुनावी प्रक्रिया की ईमानदारी को लेकर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को और बढ़ा दिया है।’
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर यह मुद्दा उठाते हुए सवाल पूछा कि राहुल गांधी क्या यह भूल गए कि कांग्रेस राज में कैसे निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियां होती थीं। आखिर कांग्रेस ने एक दशक तक राज करने के बावजूद क्यों निर्वाचन आयुक्तों की चयन प्रक्रिया में सुधार नहीं किया?
बीते दिनों सर्वोच्च अदालत ने इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख 19 फरवरी तय की थी। पिछले साल 15 मार्च को शीर्ष अदालत ने नए कानून के तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त की चयन प्रक्रिया को रद्द करने से इनकार कर दिया था। नए कानून में सीईसी के नियुक्ति पैनल से मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया गया है। नया कानून लागू होने के बाद नियुक्ति पाने वाले कुमार पहले सीईसी हैं।