ईद-उल-अजहा मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे दुनिया भर में लोग धुअल हिज्जाह (इस्लामिक चंद्र कैलेंडर का बारहवां महीना) के 10वें दिन मनाते हैं। इस त्योहार को बकरीद, ईद-ए-कुर्बान, बख़रीद, क़ुरबान बयारामी या बलिदान के पर्व के नाम से भी जाना जाता है। यह ईद-उल-फितर के बाद मनाया जाने वाला दूसरा प्रमुख इस्लामी त्योहार है।
यह त्योहार ईश्वर के आदेश का पालन करने के लिए पैगंबर इब्राहीम (हजरत इब्राहीम) द्वारा अपने बेटे के बलिदान की इच्छा को याद करता है। यह त्योहार विशेष महत्व रखता है और इसे विभिन्न रीति-रिवाजों द्वारा मनाया जाता है, जो पवित्र शहर मक्का की वार्षिक तीर्थयात्रा हज के पूरा होने के बाद धुअल हिज्जाह के 10वें दिन पड़ता है।
ईद-उल-अजहा का त्योहार दुनिया भर के मुसलमानों के लिए खुशियां लेकर आता है। इस दौरान परिवार एक साथ आते हैं और पूरा समुदाय मिलकर इस पवित्र अवसर को मनाता है। ईद-उल-अजहा के मौके पर मुसलमान अक्सर नए और बेहतरीन कपड़े पहनते हैं और मस्जिदों या खुले मैदानों में विशेष सामूहिक नमाज में शामिल होते हैं। घरों में स्वादिष्ट भोजन, खासकर कुर्बानी का मीट बनाकर खुशियां मनाई जाती हैं।
ईद-उल-अजहा की नमाज के दौरान ख़ुत्बा (धर्मोपदेश) में त्याग, ईश्वर की इच्छा का पालन करने और दूसरों के लिए दयालुता के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। ईद-उल-अजहा का मुख्य अनुष्ठान ‘कुर्बानी’ या पशु बलिदान होता है, जिसमें आम तौर पर बकरा, भेड़, गाय या ऊंट की कुर्बानी दी जाती है।
यह पैगंबर इब्राहीम द्वारा अपने बेटे के बलिदान देने की इच्छा का प्रतीक है और ईश्वर के प्रति निस्वार्थ भाव और समर्पण के महत्व को दर्शाता है। बलिदान दिए गए जानवर को फिर तीन भागों में बांटा जाता है। एक भाग परिवार के लिए, एक रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और एक गरीबों और जरूरतमंदों के लिए।
ईद-उल-अजहा के मौके पर जरूरतमंदों के साथ मीट बांटना इस त्योहार का मूलभूत हिस्सा माना जाता है, जो समुदाय के लोगों में दया, उदारता और एकजुटता को बढ़ावा देता है। यह त्योहार सभी मुसलमानों के लिए एक साथ आने और दोस्ती और रिश्तेदारी के बंधन को मजबूत करने का अवसर है। यह मुस्लिम एकता का समय होता है और इसे पारंपरिक व्यंजनों और मीठे पकवानों के साथ मनाया जाता है। जिसमें खासतौर पर शीर खुरमा शामिल है, जिसे आमतौर पर बनाया और परोसा जाता है।
दुनिया कब मनाएगी ईद-उल-अजहा?
कुछ देशों में, जैसे कि सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, कुवैत, ओमान, जॉर्डन, सीरिया, इराक और अन्य अरब देशों के साथ-साथ ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा में रहने वाले लोग धुअल क़दाह (धुअल हिज्जाह से पहले का महीना) के 29वें हिजरी महीने की शाम को चांद देखने की कोशिश करेंगे। यह 6 जून 2024 को है।
अगर चांद दिख जाता है, तो अगले दिन, 7 जून 2024 को धुअल हिज्जाह का महीना शुरू हो जाएगा और 16 जून 2024 (धुअल हिज्जाह 10) को ईद-उल-अजहा की खुशियां मनाई जाएंगी। हज का मुख्य रिवाज अराफात का दिन 15 जून 2024 (धुअल हिज्जाह 9) को मनाया जाएगा।
भारत और अन्य पूर्वी देशों में ईद-उल-अजहा कब मनाया जाएगा?
भारत, मलेशिया, पाकिस्तान, जापान, हांगकांग, ब्रुनेई और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रहने वाले मुसलमान 7 जून 2024 को धुअल हिज्जाह के चांद को देखेंगे। अगर चांद दिख जाता है, तो इन देशों में ईद-उल-अजहा 17 जून 2024 को मनाई जाएगी, नहीं तो 18 जून 2024 को।
धुअल हिज्जाह के महीने की शुरुआत सऊदी अरब में हज यात्रा का प्रतीक है, जिसके बाद 10वें दिन ईद-उल-अजहा का त्योहार आता है। माना जाता है कि हर मुसलमान को जीवन में कम से कम एक बार हज यात्रा करनी चाहिए। हालांकि, खगोलीय गणना के अनुसार, 6 जून 2024 को धुअल हिज्जाह का चांद दिखने की संभावना कम है।