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दिल्ली विधानसभा के आज से शुरू हुए बजट सत्र के पहले दिन दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के कामकाज पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी। जिसमें कहा गया है कि पिछली सरकार ने डीटीसी के बढ़ रहे घाटे को कम करने के कदम नहीं उठाए गए हैं। साथ ही बसों की संख्या को बढ़ाने के लिए भी प्रयास नहीं किए गए। ई-बसों की डिलीवरी में देरी पर ऑपरेटर पर जुर्माना भी नहीं लगाया गया।
वर्ष 2015-16 से 2021-22 की अवधि के लिए पेश की गई सीएजी रिपोर्ट के अनुसार डीटीसी को वर्ष 20221-22 में 8,433 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। 2015-16 में घाटा 3,411.10 करोड़ रुपये था। इस तरह इस अवधि में डीटीसी का घाटा दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गया। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार डीटीसी 31 मार्च 2022 तक 60,741.03 करोड़ रुपये की अपनी भारी देनदारियों का भुगतान करने में सक्षम नहीं था। निगम को राजस्व उसके परिचालन व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं था। जिसके परिणामस्वरूप 31 मार्च 2022 तक 60,741.03 करोड़ रुपये की संचित हानियां हुईं। डीटीसी को 2015 से 2022 के बीच परिचालन पर 14,198.86 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
2015 से 2022 के दौरान बसों द्वारा छूटे हुए निर्धारित किलोमीटर 7.06 से 16.59 फीसदी के बीच थे और प्रति 10,000 किलोमीटर के परिचालन पर ब्रेकडाउन की संख्या से 2.90 से 4.57 के बीच थी। जिसके परिणामस्वरूप 2015 से 2022 के दौरान निर्धारित किलोमीटर और ब्रेकडाउन की उच्च दर के कारण 668.60 करोड़ रुपये संभावित राजस्व की हानि हुई। इसके अलावा सीएजी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि छूट प्राप्त सेवाओं पर जीएसटी के लिए गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के कारण निगम को 63.10 करोड़ रुपये के ब्याज और जुर्माने की परिहार्य हानि उठानी पड़ी। ऐसा प्रतीत होता है कि निगम की आर्थिक स्थिति की गिरावट को रोकने और इसकी राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कोई निर्धारित रोड मैप नहीं है।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 2023 की अवधि के दौरान डीटीसी के बेड़े में कमी आई है। 2015-16 में डीटीसी के बेड़े में 4,344 बसें थी, जो 2022-23 में घटकर 3,937 रह गईं। नई बसों की संख्या में वृद्धि तो नहीं हुई। लेकिन पुरानी बसों की संख्या बढ़ गई। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार 2015-22 के दौरान निगम में अधिक पुरानी लो फ्लोर बसों की संख्या 0.13 फीसदी यानी 5 बसों से बढ़कर 17.44 फीसदी यानी 656 हो गई, जो 31 मार्च 2023 तक बढ़कर कुल बेड़े का 44.96 फीसदी (1,770 बसें) हो गई। अगर डीटीसी नई बसें खरीदने के लिए गंभीर प्रयास नहीं करता है तो अधिक पुरानी बसों का अनुपात और बढ़ जाएगा।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कुछ सिफारिशें भी की हैं। सीएजी ने सिफारिश की है कि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निगम के परिचालन को प्रभावी बनाने के लिए उद्योग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए तथा बेंचमार्क निर्धारित करते हुए अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की जाएं। निगम को गैर-यातायात राजस्व उत्पन्न करने, नए रास्ते खोजने और भूमि के व्यावसायिक उपयोग के लिए लंबित परियोजनाओं को विकसित करने के लिए सभी प्रयास करने की अपनी क्षमता को अधिक करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही निगम को एएमसी कॉन्ट्रेक्टर्स के साथ परिचालन के लिए सड़क योग्य बसों की निर्धारित संख्या सुनिश्चित करने में तेजी लाने की जरूरत है।
रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली सरकार से फंड (निधियों) की उपलब्धता के बावजूद डीटीसी 2021-22 और 2022-23 के दौरान केवल 300 ई-बसें ही खरीद सका। बेडे में ई बसों को जोड़ने में देरी हुई। लेकिन इसके लिए ऑपरेटरों पर विलंब से डिलीवरी के लिए 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना नहीं लगाया गया।