भारत में जल्द ही डेंगू का टीका बाजार में उपलब्ध हो सकता है। मच्छर काटने से होने वाली इस बीमारी की रोकथाम के टीके के परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) के लिए कई कंपनियां कमर कस रही हैं। उदाहरण के लिए जापानी की ताकेदा ने डेंगू से बचाव के अपने टीके के परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इंडियन इम्युनोलॉजिकल्स (आईआईएल) ने भी अपने टीके के दूसरे चरण के परीक्षण के लिए मंजूरी लेने की तैयारी में है।
सब कुछ योजनानुसार रहा तो भारतीय बाजार में वर्ष 2026 तक डेंगू से बचाव का टीका आ सकता है। भारत में डेंगू एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनकर उभरी है। वर्ष 2023 में इस बीमारी के 2,89,235 मामले सामने आए थे और 485 लोगों की मौत हो गई थी। राष्ट्रीय संवाहक जनित रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार अप्रैल 2024 तक डेंगू के 19,447 मामले आए थे, जिनमें 19 लोगों की मौत हो गई थी।
पिछले कुछ वर्षों में इन आंकड़ों में इजाफा हुआ है। वर्ष 2019 में डेंगू के 1,57,315 मामले आए थे, जो 2020 में कम हो गए, मगर तब से इसके मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आईआईएल के प्रबंध निदेशक के आनंद कुमार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्होंने अपने टीके के प्रथम चरण का परीक्षण पूरा कर लिया है। कुमार ने कहा, ‘दूसरे चरण के परीक्षण के लिए हम जल्द ही आवेदन करेंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा तो हमें उम्मीद है कि वर्ष 2026-27 या इसके इर्द-गिर्द टीका बाजार में उपलब्ध हो जाएगा।’
पहले चरण में कुछ लोगों पर टीके की परीक्षण होता है ताकि यह पता चल सके कि यह कितना सुरक्षित है। दूसरे और तीसरे चरण में टीके के असर को समझने के लिए परीक्षण किया जाता है। जापान की दवा कंपनी ताकेदा के एक प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्हें भारत के स्वास्थ्य नियामक से अपने टीके के परीक्षण की अनुमति मिल गई है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘स्वास्थ्य अधिकारियों से परीक्षण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र मिल मिल गया है। स्थानीय नियम-कायदों के अनुसार हमने परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हम जल्द से जल्द परीक्षण पूरा करने की कोशिश करेंगे और इसके नतीजे भारतीय स्वास्थ्य नियामक को सौंप देंगे।’
प्रवक्ता ने कहा कि उपयुक्त नियामकीय मंजूरी के लिए कंपनी स्वास्थ्य नियामक के संपर्क में है और सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद टीका बाजार में उतार देगी। कंपनी ने कहा, ‘हम इस समय भारत में टीका उतारने की तैयारी कर रहे हैं और भारतीय स्वास्थ्य नियामक से मंजूरी मिलते ही इसे अंजाम दे दिया जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद अपने टीके की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हम स्वास्थ्य नियामक के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
आईआईएल के टीके प्रथम चरण का परीक्षण सफल रहा है और इसके कोई दुष्परिणाम सामने नहीं आए हैं। कंपनी जल्द ही परीक्षण का दूसरा चरण शुरू करने की तैयारी कर रही है। ताकेदा ने हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई (बीई) के साथ विनिर्माण साझेदारी की है। इस समझौते के तहत बीई सालाना 6 करोड़ खुराक बनाएगी जिससे एक दशक के भीतर 10 करोड़ खुराक तैयार करने की ताकेदा की योजना को गति मिलेगी।
ताकेदा का डेंगू टीका क्यूडेंगा बच्चों एवं वयस्कों के लिए यूरोप, इंडोनेशिया और थाईलैंड के निजी बाजारों में पहले ही उपलब्ध है। अर्जेटीना और ब्राजील में निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं में भी इस टीके का इस्तेमाल हो रहा है। ताकेदा निजी एवं सार्वजनिक बाजारों में दोहरी मूल्य नीति अपनाती है और एशियाई बाजारों की तुलना में यूरोप के निजी बाजारों में कीमतें अधिक होती हैं। क्यूडेंगा की शीशी में एक से अधिक खुराक होती है।
बीई अधिक खुराक वाली शीशी तैयार करेगी जिसका उत्पादन वह फिलहाल नहीं कर रही है। कंपनी ने कहा कि एक शीशी में कई खुराक होने से राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के लिए इस टीके के भंडारण एवं परिवहन में आसानी होगी और बरबादी भी कम होगी।
ताकेदा की ग्लोबल वैक्सीन बिज़नेस यूनिट के अध्यक्ष गैरी ड्यूबिन ने फरवरी में बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था कि दुनिया में इस टीके के विकास के क्रम में 28,000 लोगों पर परीक्षण किए गए थे। ताकेदा और आईआईएल के अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और पैनेसिया बायोटेक भी डेंगू का टीका तैयार करने की दिशा में काम कर रही हैं।