दिल्ली में सोमवार को सीजन का सबसे ज्यादा तापमान रहा। पारा 33.6 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। गेहूं पर उच्च तापमान पर पड़ने वाले असर की निगरानी के लिए केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। गेहूं किसानों को बढ़े तापमान से निपटने के लिए समिति सलाह देगी।
कुछ मौसम विज्ञानियों के मुताबिक सोमवार का तापमान पिछले 10 साल में सबसे ज्यादा रहा है, जो इस सीजन में पहले गर्मी आने के संकेत हो सकते हैं। दिल्ली के सफदरजंग में यह तापमान दर्ज किया गया है।
बहरहाल कृषि सचिव मनोज आहूजा ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार गेहूं की फसल पर बढ़े तापमान के असर से उपजी स्थिति की निगरानी के लिए समिति गठित कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘यह समिति सूक्ष्म सिंचाई अपनाने को लेकर किसानों के लिए परामर्श जारी करेगी।’
इस समिति की अध्यक्षता कृषि आयुक्त करेंगे, जिसमें करनाल के गेहूं शोध संस्थान और बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों के प्रतिनिधि सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
बहरहाल सचिव ने कहा कि पहले बुआई वाली किस्मों पर तापमान में बढ़ोतरी का असर नहीं पड़ेगा और साथ ही उन किस्मों पर भी असर नहीं पड़ेगा, जो गर्मी बर्दाश्त कर सकती हैं।
आज के तापमान पर प्रतिक्रिया देते हुए मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी क्षेत्र की एजेंसी स्काईमेट के वाइस प्रेसीडेंट, मेट्रोलॉजी ऐंड क्लाइमेट चेंज महेश पालावत ने कहा कि फरवरी महीने में तापमान बढ़ने की घटना असामान्य है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी हिमालय के शेष इलाकों, पूर्वी राजस्थान के कुछ इलाकों, सौराष्ट्र और कच्छ, कोंकड़ और गोवा के साथ उत्तराखंड और गुजरात के इलाकों में तापान उल्लेखनीय रूप से सामान्य से ऊपर रहा है।
उन्होंने कहा कि तापमान में असामान्य बढ़ोतरी के लिए हम (स्काईमेट) दो वजहों को जिम्मेदार मान रहे हैं। पश्चिमी विक्षोभ पश्चिम हिमालय पर पहुंच रहा है, लेकिन कोई उल्लेखनीय बारिश या बर्फबारी नहीं हो रही है। दूसरे इन पश्चिमी विक्षोभों में अंतर बहुत कम है। ऐसे में उत्तर भारत से ठंडी हवा नहीं बन रही है, जिसकी वजह से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है।