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दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में विकास योजनाओं पर खर्च के लिए भारी भरकम राशि आवंटित की है। लेकिन इसे खर्च करने के मामले में सरकार सुस्त है। सरकार पहले 7 महीने के दौरान महज करीब 32 फीसदी ही राशि खर्च कर पाई है।
उद्योग व पर्यटन विभाग की योजनाओं के लिए आवंटित राशि का 5 फीसदी भी खर्च नहीं हुआ है। शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन पर बजट में जोर देने वाली दिल्ली सरकार इनके लिए आवंटित राशि का भी 7 महीने में 45 फीसदी से कम ही हिस्सा खर्च कर पाई है। लोक निर्माण, नागरिक आपूर्ति, पोषण, महिला व बाल विकास जैसे क्षेत्रों में खर्च को संतोषजनक कहा जा सकता है।
दिल्ली सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए पेश बजट में विकास योजनाओं पर खर्च के लिए 43,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। लेकिन आधे से ज्यादा समय बीतने के बाद भी सरकार एक तिहाई राशि ही खर्च कर पाई। दिल्ली योजना विभाग से प्राप्त आंकडों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि में 13,607 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं, जो विकास योजनाओं के लिए आवंटित 43,600 करोड़ रुपये का 31.44 फीसदी है।
दिल्ली सरकार बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य व परिवहन पर ज्यादा जोर देती है। लेकिन इस वित्त वर्ष इन पर भी खर्च में पिछड़ रही है। दिल्ली सरकार सामान्य शिक्षा के लिए आंवटित 5,830 करोड़ रुपये का 43.06 फीसदी, तकनीकी शिक्षा के लिए आवंटित 749 करोड़ रुपये का 44.34 फीसदी, चिकित्सा के लिए आवंटित 4,102 करोड़ रुपये का 43.07 फीसदी, जन स्वास्थ्य के लिए आवंटित 1,504 करोड़ रुपये का 32.84 फीसदी, परिवहन के लिए आवंटित 8,817 करोड़ रुपये का 27.13 फीसदी और जलापूर्ति व सफाई के लिए आवंटित 6,710 करोड़ रुपये का 16.24 फीसदी ही खर्च कर पाई है।
उद्योग और पर्यटन विभाग की योजनाओं पर खर्च की स्थिति और भी बुरी है। सरकार ने बजट में उद्योग विभाग के लिए 222 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, लेकिन 7 महीने बीतने के बाद भी महज 2.39 फीसदी राशि ही खर्च कर पाई। पर्यटन के लिए आवंटित 615 करोड़ रुपये में से महज 7.07 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।
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दिल्ली सरकार की बजट में आवंटित राशि विकास योजनाओं पर खर्च करने के मामले में सबसे अच्छी स्थिति महिला व बाल विकास की योजनाओं पर खर्च की है। बजट में इस मद में 1,741 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और सरकार अक्टूबर तक इस आवंटित राशि का 53.86 फीसदी हिस्सा खर्च कर चुकी है।
नागरिक आपूर्ति के लिए आवंटित 204 करोड़ रुपये का 52.09 फीसदी, लोक निर्माण के लिए आवंटित 370 करोड़ रुपये का 52.50 फीसदी और पोषण के लिए आवंटित 450 करोड़ रुपये का 49.33 फीसदी हिस्सा खर्च हो चुका है। शहरी विकास के लिए आवंटित 3,273 करोड़ रुपये का 43.20 फीसदी ही खर्च हुआ है।