रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को निगरानी रखनी चाहिए। रक्षा मंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि पाकिस्तान जैसे ‘गैर-जिम्मेदाराना’ और ‘आतंकवाद परस्त’ देश में ऐसे हथियार क्या सुरक्षित माने जा सकते हैं। सिंह ने श्रीनगर में बादामी बाग छावनी में भारतीय सेना के जवानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने साबित कर दिया है कि भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ने में किसी तरह की कोताही करने वाला नहीं है। सिंह ने कहा कि पाकिस्तान हमेशा परमाणु हथियारों का धौंस देता रहा है लेकिन भारत इन धमकियों में आने वाला नहीं है।
आईएईए असैन्य़ परमाणु कार्यक्रम पर निगरानी रखता है और इसका शांतिपूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करने के लिए काम करता है। इसकी मुख्यालय विएना में है।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया ने देखा है कि पाकिस्तान किस तरह कई मौकों पर भारत को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से परमाणु युद्ध की धमकी दे चुका है। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं दुनिया के तमाम देशों के समक्ष यह प्रश्न रखना चाहता हूं कि क्या पाकिस्तान जैसे गैर-जिम्मेदार देश के पास परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? पाकिस्तान के परमाणु हथियार आईएईए की निगरानी में डाल दिए जाएं तो इसमें सबकी भलाई होगी।‘
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले में 26 बेगुनाह लोग मारे गए थे। भारत ने इसके जवाब में 7 मई के शुरुआती घंटों में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर पर जोरदार हमले किए और उन्हें तबाह कर दिए। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के नागरिक एवं सैन्य ठिकानों पर हमले शुरू कर दिए। इसके जवाब में भारत ने भी पाकिस्तान के 13 सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले किए।
शनिवार को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम होने से कुछ घंटे पहले ऐसी खबरें आ रही थीं कि पाकिस्तान की सेना ने नैशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) की बैठक बुलाई है। एनसीए पाकिस्तान में परमाणु हथियारों पर निगरानी एवं नियंत्रण रखता है। मगर बाद में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाडा आसिफ ने कहा कि ऐसी कोई बैठक नहीं बुलाई गई है। मगर इससे विदेशी विश्लेषकों के बीच यह संदेश गया कि पाकिस्तान भारत के साथ लड़ाई में कहीं न कहीं परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के विकल्प पर विचार कर रहा है। इससे अमेरिका सहित कई दूसरे देशों पर दोनों देशों के बीच लड़ाई फौरन बंद कराने का दबाव बढ़ गया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को एक नई पहचान दी है। सिंह ने कहा कि भारत की धरती पर होने वाले अब किसी भी आतंकवादी हमले को युद्ध माना जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर वह आतंकवाद को शह देने से बाज नहीं आया तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई बताया। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘आतंकवादियों ने भारत में लोगों के धर्म पूछ कर उनकी हत्या की जिसके जवाब में हमने उन्हें उनके कर्मों की सजा दी। आतंकवादियों का नाश करना हमारा कर्तव्य था। हमारे बहादुर जवानों ने अद्भुत साहस के साथ पहलगाम हमले का बदला ले लिया।‘
उन्होंने पहलगाम में मारे गए बेगुनाह लोगों और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान को स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि उसकी तरफ से भारत में किसी तरह की आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।
उन्होंने पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य झड़प में घायल हुए सैनिकों के भी जल्द ठीक होने की कामना की। विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने भी गुरुवार को कहा कि भारत पाकिस्तान के साथ केवल द्विपक्षीय संबंधों के आधार पर ही बात करेगा। उन्होंने कहा कि भारत पिछले कई वर्षों से इसी नीति पर कायम रहा है और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तान को अपने यहां आतंकवादियों के ठिकाने नष्ट करने होंगे। पाकिस्तान को पता है कि भारत उससे क्या चाहता है।‘ उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खात्मे के लिए जरूरी कदमों पर भारत पाकिस्तान के साथ बात करने के लिए तैयार है। जयशंकर ने इस बात का भी जिक्र किया कि पाकिस्तान को उन आतंकवादियों की सूची थमा दी गई है जिनकी भारत को तलाश है।
जयशंकर ने कहा कि सिंधु नदी के जल पर भी भारत का रुख पूरी तरह साफ है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद खत्म होने के पुख्ता एवं विश्वसनीय प्रमाण सामने आने तक पूरी तरह खत्म होने तक सिंधु जल संधि निलंबित रखी जाएगी। जयशंकर ने यह भी कहा कि जहां तक कश्मीर मुद्दे की बात है तो पाकिस्तान के साथ उसके कब्जे वाले हिस्से पर ही बात होगी और उसे वह खाली करना होगा। जयशंकर ने कहा, ‘हम पाकिस्तान के साथ इस पर बात करने के लिए तैयार हैं।’
इस बीच सोशल मीडिया पर ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों से विकिरण फैल रहा है। हालांकि, आईएईए ने कहा है कि इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है।