राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के रजिस्टर मामलों की संख्या 2021 में 428,278 की तुलना में 2022 में 4 प्रतिशत बढ़कर 445,256 हो गई। 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले मेट्रो शहरों में, 2022 में ऐसे अपराधों की वृद्धि 12.3 प्रतिशत बढ़कर 48,755 हो गई।
राज्यों के बात करें, तो उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए। पिछले साल यूपी में ऐसे मामलों की संख्या 56,083 थी। “भारत में अपराध 2022” रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में, यूपी में 49,385 ऐसे मामले दर्ज किए गए थे।
2022 में, यूपी के बाद महाराष्ट्र (45,331 मामले) और राजस्थान (45,058 मामले) थे। आंकड़ों से पता चला कि भारत के ज्यादातर राज्यों में महिलाओं के खिलाफ मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
केंद्र शासित प्रदेशों में, दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए। भले ही यह 2021 में दर्ज मामलों से कम था, लेकिन यह संख्या 2020 में दिल्ली में दर्ज 10,093 मामलों से काफी ज्यादा थी।
महानगरीय शहरों में, महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दिल्ली शहर में 14,158 दर्ज किए गए। इसके बाद मुंबई में 6,176 मामले और बेंगलुरु में 3,924 मामले थे।
दिलचस्प बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ कुल अपराध की दर – प्रति 100,000 महिलाओं पर ऐसे मामले – जयपुर में सभी मेट्रो शहरों में सबसे ज्यादा थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में शहर में प्रति 100,000 महिलाओं पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के 239.3 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद दिल्ली में 186.9 और इंदौर में 174.3 मामले दर्ज किए गए।
राज्यों में, महिलाओं के खिलाफ अपराध की सबसे ज्यादा दर हरियाणा (118.7) में दर्ज की गई, इसके बाद तेलंगाना (117) और राजस्थान (115.1) का स्थान है।
कुल मिलाकर, 2022 में अपराध दर 66.4 थी, जबकि 2021 में यह 64.5 थी।
भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध के ज्यादातर मामले “पति या उसके घरवालों द्वारा क्रूरता” (31.4 प्रतिशत) कैटेगरी के तहत दर्ज किए गए थे। इसके बाद “महिलाओं की किडनैपिंग” (19.2 प्रतिशत), “महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला” (18.7 प्रतिशत), और “बलात्कार” (7.1 प्रतिशत) का नंबर आया।