विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार के प्रसारण विनियमन के प्रस्तावित संशोधन से रचनात्मक अभिव्यक्ति और वाक स्वतंत्रता बाधित और सीमित हो सकती है। प्रसारण सेवाएं (नियमन) विधेयक, 2023 का मसौदा बीते सप्ताह सरकार की अनिवार्य प्रोग्रामिंग लागू करने और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेवाओं सहित प्रसारण प्लेटफॉर्म के विज्ञापन संबंधी नियमों के बारे में लोगों की राय जानने के लिए जारी किया गया था।
इंडसलॉ की साझेदार रंजना अधिकारी ने क्रिएटिव मीडिया को लेकर चिंता व्यक्त की। आशंका जताई गई है कि ओटीटी में सरकार के तय कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता से रचनात्मकता को दबाया जा सकता है और इससे वाक एवं अभिव्यक्ति की फल फूल रही स्वतंत्रता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताविध विधेयक को लागू करने के दबाव के कारण अनुपालन निगरानी और शिकायतों के निवारण के स्वनियमन तंत्र पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
मसौदा विधेयक में विषयवस्तु पर नजर रखने के लिए कंटेंट मूल्यांकन समितियों (सीईसी) और ब्राडकॉस्ट एडवाइजरी काउंसिल परिषद (बीएसी) की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि विशेषज्ञों का अनुमान है कि सरकार के तय मानदंड के तहत हर कंटेंट को स्वप्रमाणन देने से ओटीटी के लिए कारोबार की सहजता के लिए प्रमुख तौर पर चुनौतियां खड़ी होंगी।
उन्होंने आगे कहा, ‘मूल रूप से घरेलू कंटेंट के अलावा ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म के लाइसेंस विदेश के होते हैं। हर रचनात्मक कंटेंट के विषयवस्तु की जांच करने से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और इसका उपयोगकर्ताओं पर प्रभाव पड़ेगा।’
मसौदा विेधेयक के मुताबिक प्रस्तावित नियमन ढांचे के तीसरे टीयर में बीएसी विषयवस्तु पर नजर रखेगा। हालांकि बीएसी में ज्यादातर संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ होते हैं लेकिन यह सलाहकार निकाय ही होता है। हालांकि संहिता का उल्लंघन होने की स्थिति में अंतिम फैसला केंद्र सरकार के पास रहेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘बीएसी की सलाहकार प्रकृत्ति के कारण निर्बाध बोलने पर संभावित अंकुश भी लग सकता है। इसका कारण यह है कि प्रस्तावित विधेयक का दायरा डिजिटल समाचार तक फैल सकता है।’ इसके अलावा प्रस्तावित एक समान कंटेंट के नियमन का जोखिम यह है कि सभी प्लेटफॉर्मों पर कंटेंट का ‘मानकीकरण’ होगा।
‘द डॉयलॉग’ की सीनियर प्रोग्रामर मैनेजर श्रुति श्रेया ने कहा कि लिहाजा कंटेंट विकसित करने वाले को व्यापक अपीलिंग थीम्स पर कार्य करना होगा ताकि कानून का पालन हो। ऐसा होने पर विविधता और रचनात्मकता के लिए जोखिम पैदा हो सकता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म नई और अलग तरह की कहानी के लिए जाने जाते हैं कड़े नियमों के कारण अंकुश लग सकता है।