दक्षिणी राज्य केरल में Corona virus एक बार फिर से डराने लगा है। शनिवार को केरल में चार लोगों की मौत की जानकारी मिली और 1,144 सक्रिय मामले सामने आए। प्रदेश की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को पुष्टि की कि राज्य में नए वेरिएंट जेएन.1 का पता चला है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि इस वक्त चिंता की कोई बात नहीं है। जॉर्ज ने कहा, ‘चिंता की कोई बात नहीं है। दो या तीन महीने पहले सिंगापुर हवाईअड्डे पर जब भारतीयों की जांच की गई तो उसमें इसका पता चला था।’
उन्होंने कहा कि जेएन.1 वेरिएंट देश के कई हिस्सों में पहले से ही मौजूद है मगर केरल की स्वास्थ्य प्रणाली अच्छी रहने के कारण जीनोम सिक्वेंसिंग के माध्यम से इसका पता लगाया जा सकता है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने शनिवार को कहा कि इनसाकॉग (इंडियन सार्स-कोव-2 जीनोमिक कंसोर्टियम) द्वारा चल रही निगरानी में केरल में कोविड के जेएन.1 वेरिएंट का पता चला है। फिलहाल यह वेरिएंट अमेरिका और चीन में फैल रहा है।
केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के काराकुलम में 8 दिसंबर को की गई एक आरटी-पीसीआर जांच में इसका पता चला था। मरीज की 18 नवंबर को हुई आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। मरीज में इन्फ्लुएंजा के हल्के लक्षण थे और वह कोविड-19 से उबर चुका है।
पिछले कुछ सप्ताह में केरल में कोविड-19 के मामले बढ़े हैं। जांच के लिए भेजे जाने वाले आईएलआई नमूनों की संख्या बढ़ने को इसका कारण बताया जा रहा है। इनमें से अधिकतर मरीज बिना किसी चिकित्सकीय उपचार के घर में ही ठीक हो जा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय देश भर के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेने के लिए मॉक ड्रिल कर रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार केरल में सितंबर और अक्टूबर में रोजाना औसतन करीब 20 मरीज मिल रहे थे।
मामलों में अचानक वृद्धि के बाद स्वास्थ्य विभाग ने नए दिशानिर्देश जारी किए। इसके आधार पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा निर्देश दिया गया कि जिन लोगों में बुखार के अलावा कोविड-19 के लक्षण दिख रहे हों उनकी भी जांच कराई जाए। फिलहाल, प्रदेश में हर दिन 700 से 1,000 जांच की जा रही है, जो भारत में सर्वाधिक है।