मनरेगा संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में सिविल सोसाइटी ग्रुप 19 दिसंबर से एक देशव्यापी विरोध शुरू करने की योजना बना रहा है। इसमें नए विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार ऐंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) या वीबी- जी राम जी विधेयक को खत्म करने और मौजूदा मनरेगा को जारी रखने की मांग की जाएगी।
समूह सभी राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों, ब्लॉक कार्यालयों और पंचायतों में कृषि और ग्रामीण श्रमिकों को जुटाने और नए मसौदे को खत्म करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने की योजना बना रहे हैं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के पूर्व सदस्य और अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने आज एक प्रेस कान्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा, ‘अगर कोई एक अधिनियम था, जिसने वास्तव में भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाया, तो वह मनरेगा था। इसे रद्द करके एक नई केंद्र प्रायोजित योजना से बदलने का मतलब होगा कि सभी शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में होंगी और केंद्र का कोई दायित्व भी नहीं होगा।’
इस बीच ग्रामीण विकास और पंचायती राज संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष सप्तगिरी शंकर उलाका ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर वीबी-जी राम जी विधेयक को विस्तृत जांच के लिए संबंधित स्थायी समिति को भेजने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘इन प्रावधानों के विशेष रूप से ग्रामीण, जनजातीय और आर्थिक रूप से कमजोर आबादी पर असर को देखते हुए मेरी राय है कि कानून की जांच संसद की स्थायी समिति को करनी चाहिए।’
इस बीच ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधेयक पर बहस शुरू करते हुए जोर देकर कहा कि वीबी जी राम जी न केवल रोजगार सुनिश्चित करेगा । विपक्ष की ओर से बहस शुरू करते हुए कांग्रेस के जय प्रकाश ने खेद व्यक्त किया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम विधेयक से हटा दिया गया, जो ‘सबसे बड़ा अपराध’ था।