Caste and billionaires: अमीरों की भी जाति होती है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं। देश में कुल अरबपतियों की संपत्ति में 85 फीसदी हिस्सेदारी उच्च जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों की है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के शोधकर्ताओं द्वारा बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में अरबपतियों की सूची में अनुसूचित जाति के लोग केवल 2.6 फीसदी ही थे, जबकि इसमें 88.4 फीसदी उच्च जाति के लोग थे।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के नितिन कुमार भारती और हार्वर्ड केनेडी स्कूल के लूकास चांसेल तथा पेरिस स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के थॉमस पिकेटी एवं अनमोल सोमांची की इस वर्ष मई में प्रकाशित रिपोर्ट ‘भारत में कर न्याय और संपदा पुनर्वितरण : नवीनतम असमानता अनुमानों पर आधारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अरबपतियों के वर्ग में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हिस्सेदारी केवल 9 फीसदी है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) समाज से एक भी अरबपति इस सूची में शामिल नहीं है।
जाति के अनुसार आंकड़े एकत्र करने के लिए शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अरबपतियों की सूची का अध्ययन किया और उसी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि देश में अरबपतियों की सूची में पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी घट रही है, जबकि उच्च जातियों का दबदबा बढ़ रहा है।
सोमांची ने कहा, ‘हकीकत यह है कि देश में हाल के वर्षों में जितने भी अरबपति उभर कर आए, वे अधिकांश केवल उच्च जातियों से हैं।’ जाति ही शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक हैसियत और धन तक पहुंच तय करती है और ये कारक ही व्यापक स्तर पर उद्यमशीता और संपत्ति अर्जन का माहौल तैयार करते हैं।
देश के कई हिस्सों में दलितों को संपत्ति से ही वंचित नहीं रखा गया, भूमि और बाजार से बहिष्कृत किया गया। इसका सबसे बुरा असर उनकी आर्थिक तरक्की पर पड़ा।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार ‘कर्मशील भारत की स्थिति 2023’ रिपोर्ट के अुनसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की हिस्सेदारी श्रमबल में संख्या के मुकाबले उद्यामों या कारोबार के मालिक के तौर पर कम है।
श्रमबल में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 19.3 फीसदी और उद्यमिता में 11.4 फीसदी है। इसी प्रकार श्रमबल में अनुसूचित जनजाति के लोग 10.1 फीसदी हैं, जबकि इस वर्ग के 5.4 फीसदी लोग ही उद्यमों के मालिक हैं।
केंद्र सरकार के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जाति के केवल 12.3 फीसदी लोग ही उच्च धनाढ्य वर्ग में हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी इस वर्ग में 5.4 फीसदी है।