दूरसंचार विभाग (DoT) ने संसद में एक आधिकारिक जवाब में कहा कि 5जी सेवा को शुरू हुए करीब 6 महीने हो गए हैं और देशव्यापी तौर पर यह ढांचा 481 जिलों में स्थापित हो चुका है। भारत में अभी 23.8 लाख कुल बेस ट्रांससीवर स्टेशन (बीटीएस) का सिर्फ 37 प्रतिशत या 8.84 लाख हिस्सा ही फाइबरयुक्त किया गया है।
बीटीएस किसी मोबाइल नेटवर्क में फिक्स्ड रेडियो ट्रांससीवर होता है। यह मुख्य तौर पर टावर के स्वरूप में होता है। हालांकि नए 5जी रेडियो मौजूदा टावर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फिट किए जा रहे हैं। इनका इस्तेमाल ग्राहक डिवाइस और दूरसंचार ऑपरेटर नेटवर्कों के बीच संचार प्रक्रिया सुगम बनाने में किया जाता है।
अधिकारियों का कहना है कि 5जी का भौगोलिक दायरा तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि एक महीने पहले तक 5जी के दायरे में आने वाले जिलों की संख्या 387 थी।
हालांकि दूरसंचार टावरों में फाइबर बैकहॉल का अभाव इस क्षेत्र के लिए मुख्य समस्या है। भारत में मौजूदा समय में 5जी की पेशकश कर रहीं दो दूरसंचार सेवा प्रदाता – रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने कहा है कि जब ऑप्टीकल फाइबर लाइन पूरी तरह बिछ जाएगी तो नेटवर्क स्पीड और क्षमता भी बढ़ जाएगी।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) का कहना है कि संभावित 5जी सेवाओं के लिए कम से कम 70 प्रतिशत टावरों तक फाइबर कनेक्टिविटी होनी चाहिए।