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क्या आप भी हैं भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों से परेशान? जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या फैसला लिया

सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की शिकायत के लिए एक विशेष प्रणाली विकसित करने के निर्देश दिए, पतंजलि विज्ञापनों पर भी हुई चर्चा

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भाविनी मिश्रा   
Last Updated- February 24, 2025 | 11:02 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने आज औषधि एवं जादुई उपचार अधिनियम (डीएमआर अधिनियम) के तहत तंत्र बनाने को कहा है ताकि आमलोग चिकित्सा से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत कर सकें। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां के पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र शादान फरासत को सुनवाई की अगली तारीख पर अधिनियम के क्रियान्वयन के बारे में नोट पेश करने को कहा है।

न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि ‘औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत पहले तंत्र बनाना होगा। यह अधिनियम अत्यंत महत्वपूर्ण है तथा इसके प्रावधानों का अनुपालन करना आवश्यक है। पीठ ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों पर शिकायत दर्ज कराने के इच्छुक नागरिकों की खातिर एक तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।

पीठ ने कहा कि वह 7 मार्च को इस पहलू पर विचार करेगी। अपने नोट को रिकॉर्ड पर रखें। उसके बाद हम वृहद आदेश देंगे। हम आदेश देंगे कि पूरा तंत्र स्थापित होना चाहिए। अभियोजन चलाया जाना चाहिए और इसके लिए शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए।

अदालत ने आंध्र प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिवों को 7 मार्च को वर्चुअली पेश होने का आदेश दिया है और यह बताने को कहा है कि उन्होंने भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया।

शीर्ष अदालत एलोपैथी पर हमला करने वाले और कुछ बीमारियों के इलाज के दावे करने वाले पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले में पतंजलि, योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण पहले ही माफी मांग चुके हैं।

First Published : February 24, 2025 | 11:02 PM IST