अर्थव्यवस्था

GST में सुधारों से अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति, महंगाई बढ़ने का जोखिम नहीं: सीतारमण

सीतारमण ने कहा कि यह सुधार 2017 में एक राष्ट्र, एक टैक्स व्यवस्था लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सुधार है और इसे आम आदमी को ध्यान में रखकर किया गया है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- September 07, 2025 | 7:13 PM IST

GST reforms: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जीएसटी दरों में कटौती समेत अन्य सुधार लोगों को ज्यादा उपभोग के लिए प्रेरित करेंगे और इसके परिणामस्वरूप आर्थिक वृद्धि के साथ अर्थव्यवस्था को जरूरी गति मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि महंगाई काबू में है और इसके बढ़ने का जोखिम नहीं है।

22 सितंबर से लागू होंगी नई दरें

जीएसटी काउंसिल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया। अब टैक्स की दरें 5% और 18% होंगी जबकि विलासिता एवं सिगरेट जैसी अहितकर वस्तुओं पर 40% की स्पेशल टैक्स रेट लागू होगी। सिगरेट, तंबाकू और अन्य संबंधित वस्तुओं को छोड़कर नई टैक्स दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी।

400 वस्तुओं पर घटा टैक्स

दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत टेलीविजन एवं एयर कंडीशनर जैसे उपभोक्ता वस्तुओं के अलावा खानपान और रोजमर्रा के कई सामान समेत करीब 400 वस्तुओं पर दरें कम की गई हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कटौती के साथ सुधारों की दिशा में जो कदम उठाये गये हैं वास्तव में यह लोगों को ज्यादा उपभोग के लिए प्रेरित करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है।’’

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GST में अब तक का सबसे बड़ा सुधार

सीतारमण ने कहा, ‘‘यह सुधार 2017 में एक राष्ट्र, एक टैक्स व्यवस्था लागू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा सुधार है और इसे आम आदमी को ध्यान में रखकर किया गया है। रोजमर्रा की जरूरत की हर वस्तु पर लगने वाले कर की कड़ी समीक्षा की गई है और ज्यादातर मामलों में दरों में भारी कमी आई है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि आज लोग 100 रुपये में जो चीजें खरीद रहे हैं, उतने ही पैसे में वे वस्तु का ज्यादा हिस्सा खरीद सकते हैं।”

खपत बढ़ने की उम्मीद

सीतारमण ने कहा, ‘‘इसलिए दरों में इस कमी से मासिक घरेलू राशन और चिकित्सा बिलों में कमी आएगी। साथ ही यह पुरानी कार की जगह नई कार लेने, रेफ्रिजरेटर या वॉशिंग मशीन जैसी पुरानी वस्तुओं की जगह नई चीजें खरीदने जैसी आकांक्षाओं को भी पूरा करने में मददगार होगी।’’

उल्लेखनीय है कि इससे पहले, 2025-26 के बजट में उन्होंने 12 लाख रुपये तक की सालाना आय (नौकरीपेशा के लिए मानक कटौती के साथ 12.75 लाख रुपये) को टैक्स फ्री किये जाने की घोषणा की थी। इससे लोगों के जेब में अधिक पैसा आने और खपत बढ़ने की उम्मीद है।

महंगाई काबू में

महंगाई के बारे में उन्होंने कहा कि महंगाई पहले से ही काफी हद तक नियंत्रण में है तथा यह कुछ समय से नियंत्रण में बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में घटकर 1.55% रही जो जून, 2017 के बाद सबसे कम है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर 2% से 6% के दायरे से भी नीचे है।

एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से वित्त वर्ष 2025-26 में खुदरा महंगाई को 0.65 से 0.75% तक कम करने में मदद मिल सकती है।

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FY26Q1 में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से ज्यादा

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में उम्मीद से ज्यादा जीडीपी वृद्धि और खपत बढ़ने को देखते हुए क्या 6.3% से 6.8% आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ाया जा सकता है, इस बारे में सीतारमण ने कहा, ‘‘यह संभव है।’’

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में उम्मीद से अधिक 7.8% रही। सरकार के अनुमान के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में इसके 6.3 से 6.8% रहने की संभावना है।

राजकोषीय घाटे पर नहीं होगा कोई असर

जीएसटी में सुधार और राजस्व में कमी से राजकोषीय घाटा पर असर पड़ने के बारे में पूछे जाने पर सीतारमण ने कहा, ‘‘जीएसटी दरों में कमी के कारण 4,8000 करोड़ रुपये राजस्व में कमी के अनुमान से राजकोषीय घाटे को नीचे लाने की योजना पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘‘जो अनुमान है वह एक स्थिर संख्या है जो आधार वर्ष पर आधारित है, … ऐसे में मुझे लगता है कि 22 सितंबर से खपत में वृद्धि आय में उछाल को बढ़ाएगी। काफी हद तक, यह 48,000 करोड़ रुपये की राशि हम इसी वर्ष पूरी कर पाएंगे। इसलिए मुझे अपने राजकोषीय घाटे या राजकोषीय प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं दिखता। मैं अपने आंकड़ों पर ही कायम रहूंगी।’’

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राजकोषीय घाटा 4.4% रखने का लक्ष्य

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 4.4% रखने का लक्ष्य रखा जो 2024-25 से कम है। यह पूछे जाने पर कि जीएसटी दरों में कटौती से मध्यम वर्ग के परिवारों को घरेलू खर्च में कितनी बचत होने का अनुमान है, सीतारमण ने कहा, ‘‘अभी नहीं। लेकिन हम 2-3 महीने बाद इस बारे में कुछ कह पाएंगे। हमें एक सकारात्मक और एक नकारात्मक पहलू को ध्यान में रखना होगा।

22 सितंबर से लोग खरीदारी शुरू कर देंगे, ठीक वैसे ही जैसे कोविड के बाद तेजी से खरीदारी शुरू हुई थी। यह एक सकारात्मक बात होगी। लेकिन, यह एक चुनौती भी होगी। दिसंबर के बाद, जनवरी-मार्च तिमाही में शायद यही उछाल बरकरार न रहे। इसलिए, यह जानने के बाद ही मैं कह सकती हूं कि जीएसटी दरों में कटौती से किसी परिवार को कितना फायदा होगा।’’

(PTI इनपुट के साथ)

First Published : September 7, 2025 | 6:53 PM IST