अक्टूबर में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति में मजबूती बनी रही। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी, उत्पादकता में सुधार और तकनीक में निवेश के कारण नए ऑर्डर में तेज वृद्धि हुई और उत्पादन और खरीद को बढ़ावा मिला।
सोमवार को जारी एसऐंडपी ग्लोबल के एचएसबीसी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में सूचकांक बढ़कर 59.2 पर पहुंच गया, जो सितंबर में 57.7 पर था। आंकड़े अगस्त के शीर्ष स्तर 59.2 से मामूली कम हैं। सर्वे में 50 से ऊपर अंक प्रसार और इससे कम संकुचन का संकेतक होता है। लगातार 52वें महीने में आंकड़े प्रसार के क्षेत्र में बने हुए हैं।
सर्वे में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही की शुरुआत में नए ऑर्डर और बढ़े हैं। कंपनियों ने कहा कि विज्ञापन, तेज मांग और जीएसटी सुधारों के कारण तेजी आई है। सितंबर की तुलना में प्रसार तेज और मजबूत रहा है।’
बहरहाल बिक्री में वृद्धि मुख्य रूप से घरेलू मांग के कारण हुई है और नए निर्यात ऑर्डर में मामूली वृद्धि हई है। भारतीय वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में नवीनतम सुधार उल्लेखनीय रहा, हालांकि यह कैलेंडर वर्ष में अब तक का सबसे सुस्त सुधार था। एचएसबीसी में चीफ इंडिया इकनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अक्टूबर में भारत के विनिर्माण पीएमआई में तेजी आई। मजबूत मांग के कारण उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार सृजन में वृद्धि को बढ़ावा मिला है।
भंडारी ने आगे कहा, ‘इस बीच अक्टूबर में इनपुट की कीमतों में नरमी आई, जबकि कुछ विनिर्माताओं द्वारा अतिरिक्त लागत का बोझ अंतिम उपभोक्ताओं पर डालने के कारण औसत बिक्री मूल्य में वृद्धि हुई। आगे की बात करें तो जीएसटी सुधार और अच्छी मांग को लेकर सकारात्मक उम्मीदों के कारण भविष्य में कारोबारी धारणा मजबूत है।’
अगर लागत के मोर्चे पर देखें तो सर्वे में पाया गया है कि विनिर्माताओं ने अक्टूबर में अतिरिक्त कच्चा माल और सेमी फिनिश्ड आयटम खरीदे हैं। यह उत्पादन और भंडारण बढ़ाने के लिए किया गया है। उल्लेखनीय है कि खरीद का स्तर मई 2023 के बाद सबसे तेज बढ़ा है।
इनपुट की खरीद में वृद्धि को बढ़ावा देने वाला एक कारक लागत की महंगाई दर में उल्लेखनीय कमी थी। कुल व्यय में नवीनतम वृद्धि मामूली थी, जो 8 महीनों में सबसे कम और दीर्घकालिक श्रृंखला औसत से काफी नीचे थी।