अहमदाबाद में पिछले महीने हुए एयर इंडिया एआई 171 विमान हादसे को लेकर आई एक जांच रिपोर्ट के प्रारंभिक निष्कर्षों में ज्ञात तकनीकी समस्याओं को कम करके आंकने और पायलटों की गलती की ओर संकेत किए जाने से कई सवाल उठ रहे हैं। एयर इंडिया के कई पायलटों ने रविवार को बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि वे इस अस्पष्ट रिपोर्ट के कारण ‘बेहद परेशान’ और ‘हताश’ महसूस कर रहे हैं।
एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट 12 जुलाई को जारी हुई और उसमें पाया गया कि बोइंग 787-8 विमान के दोनों इंजनों के फ्यूल कंट्रोल स्विच को 12 जून को विमान के उड़ान भरने के महज तीन सेकंड बाद ‘रन’ से ‘कटऑफ’ की स्थिति में कर दिया गया था जिससे दो इंजन वाले इस विमान ने अचानक उड़ान क्षमता खो दी। ये स्विच इंजन में ईंधन की आपूर्ति को शुरू या बंद करते हैं। उन्हें ‘कटऑफ’ करने से इंजन को ईंधन मिलना पूरी तरह बंद हो जाता है।
एयर इंडिया के पायलटों को सबसे अधिक परेशानी इस बात से हुई है कि रिपोर्ट में ‘ट्रांजिशंड’ शब्द का इस्तेमाल किया गया लेकिन यह साफ नहीं किया गया कि स्विच को चालक दल के किसी सदस्य द्वारा हाथ से बंद किया गया या सिस्टम की किसी गड़बड़ी की वजह से वे स्वत: बंद हो गए। एक वरिष्ठ कैप्टन ने पूछा, ‘रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं है कि स्विच की स्थिति का आकलन किया गया था या नहीं। क्या किसी ने उन्हें हाथ से जानबूझकर बंद किया या फिर सिस्टम ने कोई गलती भांप कर खुद उसे बंद किया?’
बोइंग 787 के फ्यूल स्विच को बंद करने के लिए पूरी मेहनत मशक्कत लगती है, वह अपने से बंद नहीं हो सकता। इसके अलावा ये स्विच थ्रोटल लीवर के पास होते हैं जो इंजन की क्षमता को नियंत्रित करता है। एक अन्य पायलट ने कहा, ‘ये गलती से बंद नहीं हो सकते हैं। विमान की इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली या उसकी स्विच प्रणाली में कुछ न कुछ गंभीर खामी हुई होगी।’
कुछ ने प्रश्न किया कि स्विचों को हाथ से बंद किया गया या फिर विमान के कंप्यूटर ने ऐसा कुछ भांप लिया कि वे सही काम नहीं कर रहे हैं। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर में वही दर्ज हुआ होगा जो उस समय सिस्टम में हो रहा था। जरूरी नहीं कि वह हुआ जो स्विच दिखा रहे हैं। यह सवाल रिपोर्ट में एक गंभीर कमी की ओर इंगित करता है।
एक अन्य वरिष्ठ पायलट ने कहा, ‘अगर दोनों इंजनों ने उड़ान के बाद एक साथ काम करना बंद कर दिया और विमान के क्रू ने फ्यूल स्विच बंद नहीं किए थे तो हम बहुत जोखिम के साथ उड़ान भर रहे हैं। जब तक असली वजह नहीं पता चलती है, इसे दोहरे इंजन की विफलता मानी जानी चाहिए।’
एएआईबी की रिपोर्ट में दोनों पायलटों की बातचीत का केवल एक हिस्सा शामिल किया गया है जहां एक पायलट दूसरे से पूछता है कि क्या उसने स्विच को कटऑफ किया है। इस पर दूसरा चालक जवाब देता है कि उसने ऐसा नहीं किया है। कुछ ही सेकंड बाद ‘मे डे’ की पुकार हुई और विमान बीजे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल परिसर में ध्वस्त हो गया। उस हादसे में विमान में सवार 241 लोगों के अलावा 19 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच गया था।
एयर इंडिया के एक चालक ने कहा, ’30 सेकंड में यह सब हो गया। वी1, रोटेट, गियर अप, पॉजिटिव रेट जैसे सामान्य मानकों का क्या? उस बातचीत को क्यों नहीं शामिल किया गया?’ उनका इशारा उन बातों की ओर था जो उड़ान के दौरान की जाती हैं और जो विमान के बारे में काफी कुछ बताती हैं।
ये मानक बातचीत दोनों पायलटों के बीच की चर्चा होती हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि उड़ान के इस अहम चरण में उनके बीच पूरा तालमेल है। वी1 उस गति को दिखाता है जिसके बाद समस्या होने पर भी उड़ान की प्रक्रिया जारी रखी जानी जरूरी है। रोटेट वह मौका है जब विमान का अगला हिस्सा रनवे से ऊपर उठ जाता है। पॉजिटिव रेट बताती है कि विमान सुरक्षित ढंग से ऊपर बढ़ रहा है और गियर अप लैंडिंग गियर को वापस खींचने का निर्देश देता है।
कॉकपिट क्रू के कई सदस्यों ने रिपोर्ट की भाषा को अस्पष्ट बताते हुए इसकी आलोचना की। उन्होंने कहा कि अस्पष्टता के कारण गलत व्याख्या या अटकलबाजी की गुंजाइश बनती है। एक पायलट ने कहा कि अगर स्विचों को बंद किया गया था या ईंधन प्रवाह बाधित हुआ था तो यकीनन इंजन बंद करने का अलर्ट भी आया होगा?
एयर इंडिया के पायलटों ने यह भी कहा कि किसी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के पहले इमरजेंटसी लोकेटर ट्रांसमिटर नामक उपकरण बचाव संकेत भेजता है लेकिन वह सक्रिय नहीं हुआ। वह काम क्यों नहीं कर रहा था? उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में रिपोर्ट में कोई संकेत नहीं है।
एयर इंडिया के कई विमान चालकों ने 2018 में अमेरिकी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी सेफ्टी बुलेटिन का जिक्र किया जिसमें चेतावनी दी गई थी कि बोइंग के कुछ विमानों के फ्यूल स्विच की लॉकिंग प्रणाली अनचाहे ही बंद हो जाती है। हालांकि बुलेटिन अनिवार्य नहीं था और एयर इंडिया ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उसने यह जांच नहीं की थी। एक पायलट ने पूछा कि यह जांच क्यों नहीं की गई थी। पायलट ने कहा कि इस विमान का थ्रोटल क्वाड्रंट 2019 और 2023 में दो बार बदला गया था ऐसे में यह जांच की जानी चाहिए थी।
चिंता का एक और कारण विमान का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर है। एक पायलट ने कहा, ‘इसने क्या रिकॉर्ड किया? स्विच की क्या स्थिति दर्ज की? अगर यह केवल इलेक्ट्रिक कमांड को दर्ज कर रहा था तो नाम मात्र की बिजली बंद होने पर भी यह कटऑफ दिखा सकता है।’ एयर इंडिया में ड्रीमलाइनर विमान उड़ाने वाले एक अनुभवी चालक ने कहा, ‘पूरी बिजली बंद होने के बाद ही रैम एयर टर्बाइन शुरू होता है। तब केवल कैप्टन (बांयी सीट) का डिस्प्ले ही सक्रिय रहता है। अगर टेक ऑफ के समय फर्स्ट ऑफिसर (दांयी सीट) वाला चालक उड़ान भर रहा था तो संभव है कि विमान के गति खोने के तुरंत बाद कैप्टन ने नियंत्रण संभाल लिया हो। परंतु रिपोर्ट इस विषय से कुछ भी स्पष्ट नहीं कहती। मे डे की पुकार के समय कौन उड़ान भर रहा था, किसने इंजन को दोबारा चालू करने की कोशिश की। कुछ नहीं बताया गया है।’
पायलटों द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर बोइंग ने रविवार को उस बयान को पुन: दोहराया जो उसने एक दिन पहले जारी किया था- ‘हमारी संवेदनाएं एयर इंडिया की उड़ान 171 में सवार यात्रियों, चालक दल के प्रियजनों और अहमदाबाद में हादसे वाली जगह पर प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं। एयर इंडिया में नैरो-बॉडी फ्लीट पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) ने रविवार को एक बयान में इस अटकल को खारिज कर दिया कि चालक दल ने जानबूझकर ईंधन बंद कर दिया होगा।
यहां तक कि विमान हादसों की जांच से जुड़े रहे पूर्व अधिकारियों ने भी इस मामले में संयम बरतने का आग्रह किया है। एएआईबी के पूर्व प्रमुख अरविंदो हांडा, जिन्होंने 2020 में कोझिकोड हवाई अड्डे पर एयर इंडिया एक्सप्रेस की दुर्घटना समेत 100 से अधिक दुर्घटनाओं की जांच का नेतृत्व किया, ने कहा, ‘प्रारंभिक रिपोर्ट से किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी, जिसमें पायलटों में से एक की भूमिका भी शामिल है। हमें एएआईबी को निष्पक्ष, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अपनी जांच पूरी करने देनी चाहिए।’ हांडा ने कहा कि अब ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि ईंधन बंद क्यों हुआ। उन्होंने कहा, ‘अंतिम रिपोर्ट से पूरी स्थिति सामने आएगी।’