इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) अपनी दक्षता में फिलहाल सुधार लाने की दिशा में काम कर रहा है और यह कम से कम अगले पांच से 10 वर्षों में इतना आधुनिक और परिष्कृत नहीं हो जाएगा कि रोजगारों की जगह ले ले।
चंद्रशेखर ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘एआई के बारे में एक कथ्य और कुछ सनसनीखेज बातें हैं और दूसरी तरफ इसकी वास्तविकता है। यह संभव है कि अगले 5-10 वर्षों में एआई बेहतर बुद्धिमता हासिल कर ले और फिर यह नौकरियां खाने लगे। यह एक संभावना है। वर्तमान में, एआई के ऐप्लिकेशन पर काम जारी है और इससे अधिक दक्षता बनाई जा रही है।’
उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि कुछ वर्षों के बाद यह उन नौकरियों की जगह ले सकता है जिनके लिए कम स्तर की बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है और जिनमें दोहराव वाले काम ज्यादा होते हैं। लेकिन मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि एआई को लेकर हम अगले कुछ वर्षों में नौकरियों में किसी भी तरह के तथाकथित खतरे को नहीं देखते हैं।
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार डिजिटल इंडिया अधिनियम का मसौदा तैयार कर रही है जो एआई सहित अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों का नियमन उपयोगकर्ता के नुकसान के पैमाने के आधार पर करने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया विधेयक का मसौदा एक साल के भीतर सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी कर दिया जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार की डिजिटल इंडिया पहल की उपलब्धियों की जानकारी दे रहे थे। जब उनसे इंटरनेट पर बढ़ती अवैध गतिविधियों के खिलाफ प्रस्तावित प्रावधानों के बारे में पूछे जाने पर चंद्रशेखर ने कहा कि आईटी अधिनियम, 2000 के एक सेफ हार्बर खंड में बड़ी तकनीकी कंपनियों को उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी से बचने की गुंजाइश बन जाती थी।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने वर्ष 2008 में आईटी कानून में संशोधन कर धारा 79 लागू की थी। इसकी वजह से किसी भी बड़ी तकनीकी कंपनी को मुकदमे से पूरी तरह से छूट मिल जाती है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने इसमें बदलाव किया है और आईटी नियम, 2021 के साथ जवाबदेही तय की गई है।’
जैसा कि पहले भी बताया गया था कि सरकार, मेटा और गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों सहित इंटरनेट मध्यस्थों को दिए जाने वाले ‘सेफ हार्बर’ की रूपरेखा फिर से तैयार कर रही है ताकि उपयोगकर्ता द्वारा तैयार की गई गैरकानूनी सामग्री के लिए उनकी जवाबदेही बढ़ाई जा सके।
चंद्रशेखर ने ओपन सोर्स डिजिटल पब्लिक गुड्स बनाने, डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने और देश में 5जी नेटवर्क की तेजी से शुरुआत करने की सरकार की नीतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्रणाली के कारण पिछले नौ वर्षों में लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपये बचाए हैं।
उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी सरकार ने डीबीटी ढांचे के माध्यम से 29 लाख करोड़ रुपये पहुंचाए हैं। अगर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण की व्यवस्था नहीं होती तब सरकार द्वारा वितरित इन 29 लाख करोड़ रुपये में से 24 लाख करोड़ रुपये लीक हो जाते।’
मंत्री ने बताया कि भारत जी20 की अध्यक्षता के दौरान डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई), इंडिया स्टैक की तकनीक की पेशकश कर रहा था। उन्होंने कहा कि सरकार ने 12 और 13 जून को पुणे में वैश्विक डीपीआई शिखर सम्मेलन बुलाया है जिसमें कई देश इंडिया स्टैक को अपनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।