जैसे ही जनवरी आती है बहुत सारे निवेशकों को अचानक लगता है कि वित्तीय साल खत्म होने जा रहा है, यानी आपको मार्च खत्म होने से पहले अपनी टैक्स बचत की कसरत पूरी करनी है।
लिहाजा अगर आपने आयकर की धारा 80 सी के तहत अपने निवेश पूरे नहीं करे हैं तो आपके पास अब भी थोड़ा समय है इस कसरत को पूरा करने के लिए।
अगर पिछले साल को देखा जाए तो फिक्स्ड रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट्स जैसे नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (एनएससी) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) ज्यादा आकर्षक रहे हैं।
आखिर इनमें रिटर्न की गारंटी रहती है। शेयर बाजार की हालत खस्ता है और लगता भी नहीं कि जल्दी इसमें कोई सुधार आना है। लेकिन निवेशक जो बात भूल जाते हैं वो ये है कि इक्विटी में निवेश शार्ट टर्म के लिए नहीं होता है।
हालांकि इक्विटी में छोटी अवधि में ही अच्छा रिटर्न देने की क्षमता होती है लेकिन पूंजी साफ होने के खतरा भी उतना ही ज्यादा रहता है।
इक्विटी का पूरा फायदा उठाने के लिए निवेशक के पास उसमें कम से कम तीन साल तक बने रहने का सब्र होना चाहिए। लेकिन इसकी लिक्विटी यानी आसानी से बाहर आ जाने के विकल्प की वजह से ही कई बार निवेशक गिरावट के समय बाहर निकलने के अपने लालच को रोक नहीं पाता।
एक गलती जो अक्सर की जाती है वो ये कि किसी भी गिरावट के समय अपने सारे शेयर बेचकर निकल जाना। सच ये है कि कोई भी यह नहीं बता सकता कि बाजार कब पलटा खाएगा।
लिहाजा अगर कोई यह सोच कर बाजार में निवेश करता है कि उसे कुछ समय रहना है तो आखिर में उसे लाभ ही होगा।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस) की अच्छी बात यह है कि आयकर की धारा 80 सी के तहत दूसरे विकल्पों की तुलना में इसमें लॉक इन पीरियड सबसे कम होता है।
कम से कम तीन साल के लिए निवेश से लगता है निवेशक को थोड़े समय के लिए यह धन नहीं चाहिए जबकि दूसरे विकल्पों में कम से कम पांच साल का लॉकइन पीरियड होता है।
अगर हम पिछले पांच साल के ईएलएसएस कैटगरी को देखें तो औसतन इसने 12 फीसदी से ज्यादा का सालाना रिटर्न दिया है। ये 80 सी के उन दूसरे विकल्पों से बेहतर है जो औसत 8-9 फीसदी का रिटर्न देते हैं।
ईएलएसएस में निवेश पर टैक्स की छूट भी मिलती है, डिविडेंड टैक्स फ्री होते हैं और तीन साल बाद जब आप अपनी यूनिट बेचते हैं आपको कोई टैक्स (लांग टर्म कैपिटल गेन) नहीं देना होता।
इससे यह बैंक के डिपॉजिट और एनएससी से बेहतर बनाता है। और रिटर्न और लॉकइन के मामले में भी यह पीपीएफ से बेहतर है। कुल 36 फंडों में से हम आपके चार सबसे अच्छे फंड चुन रहे हैं।
कैनरा रोबैको इक्विटी टैक्स सेवर
साल 2006 से बेहतर प्रदर्शन करने वाला यह फंड बेहतर विकल्प है। पिछले साल की बाजार की गिरावट में इसने अपनी कैटगरी में सबसे कम नुकसान उठाया है।
बाजार में हर तरह की परिस्थिति में बेहतर प्रदर्शन करने की इसकी क्षमता ने इसे बेहतर जगह पर खडा किया है। इसका फोकस लार्ज कैप में है, कैश एलोकेशन काफी ज्यादा है और इसके डाइवर्स पोर्टफोलियो की वजह से ही ये बेहतर कर सका है। टैक्स सेविंग स्कीम ढूंढ रहे परंपरागत निवेशकों को यह पसंद आएगा।
फ्रैंकलिन इंडिया टैक्सशील्ड
यह फंड बहुत आकर्र्षक कुछ नहीं करता लेकिन अपने सरल तरीकों की वजह से अच्छा है। यह अपने स्थिर और स्थाई चाल की वजह लांग टर्म में बहुतों से बेहतर प्रदर्शन कर सका है।
तेजी के दौर में इसने बीच का प्रदर्शन किया है लेकिन लंबी अवधि में देखें तो इसने अपने अपनी कैटगरी के औसत से बेहतर प्रदर्शन किया है।
इसका फंड मैनेजर अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों के पीछे नहीं भागता जिन पर उसे भरोसा नहीं है, हालांकि इसका स्टाइल हो सकता है बहुत भारी रिटर्न नहीं दे लेकिन कम वोलाटैलिटी उन निवेशकों को आकर्षित कर सकती है जो लार्ज कैप में एक्सपोजर चाहते हैं।
मैग्नम टैक्सगेन
हालांकि इस फंड ने कोई बहुत भारी प्रदर्शन तो नहीं किया है लेकिन खासा रोमांचकारी जरूर रहा है। इसका फंड मैनेजर अपने पोर्टफोलियों में ढेर सारे शेयर रखता है लेकिन आमतौर पर इसमें काफी सारे छोटे नाम होते हैं।
हालांकि बड़े नाम हमेशा ही इसके प्रिय रहे हैं। पिछले साल यह धीरे धीरे लार्ज कैप की ओर बढ़ा है और डेट में भी इसने निवेश किया है। हालांकि 2007 में इसका प्रदर्शन औसत रहा है, इसका लांग टर्न ट्रैक रिकार्ड अपनी कहानी खुद कहता है और इसी वजह से यह खरीदने लायक फंड भी है।
सुंदरम बीएनपी पारिबा टैक्ससेवर
इस फंड का स्वरूप मिडकैप से हटकर अब लार्ज कैप हो गया है। बाजार के बदलते मिजाज के साथ इसका बदलाव काबिले तारीफ है। पहले भी यह बाजार की गिरावट के दौरान अपने क्षमता दिखा चुका है और हाल में भी इसने यह साबित किया है।