आईपीओ से चांदी काटना सच्चाई नहीं बल्कि दिवास्वप्न है…यह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आंकड़े बताते हैं कि इस साल यानी 2008 आईपीओ से कमाई करने के इच्छुक लोगों के लिए बहुत खराब गुजरा है।
इस साल पेश 18 में से 13 आईपीओ ने इसमें पैसा लगाने वालों को फायदा तो दूर चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इन 13 आईपीओ में लगा चूना भी थोड़ा-मोड़ा नहीं बल्कि कुल 2,950 करोड़ रुपए का भारी-भरकम है, जो कि कुल पेशकश रकम 12,314 करोड़ रुपए का 24 फीसदी बैठता है।
दूसरी ओर, चंद निवेशक ऐसे भी रहे, जिन्होंने बदहाली के दौर से गुजरते आईपीओ से थोड़ी बहुत कमाई कर लेने में कामयाबी हासिल कर ली।
इनके तहत कुल 18 में से पांच आईपीओ ऐसे थे, जिन्होंने तकरीबन 15.3 फीसदी का रिटर्न इन सौभाग्यशाली लोगों को दिया। इस साल के आईपीओ फ्लॉप शो का सेहरा बेशक रिलायंस पावर और फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स के ही सिर बंधा, जो कि इस समय पेशकश कीमत से भी लगभग 25 प्रतिशत कम कीमत पर बाजार में मारे-मारे फिर रहे हैं।
इनके अलावा, बीजीआर एनर्जी, श्रीराम ईपीसी, जे.कुमार इन्फ्राप्रोजेक्ट्स और केएनआर कंस्ट्रक्शन भी फ्लॉप शो में अहम भूमिका में रहे। आकार में छोटे इश्यू जैसे प्रिसीजन पाइप्स एंड प्रोफाइल्स, मनाक्सिया और पोरवाल ऑटो तो पेशकश कीमत की आधी कीमत पर खरीदे जाने की चिरौरी कर रहे हैं।
इस फ्लॉप शो से बाल-बाल बचे पांच आईपीओ भी ज्यादा नहीं थोड़ा ही मुनाफा लोगों को मुहैया करा पा रहे हैं। ये हैं- जीएसएस अमेरिका इन्फोटेक, ऑनमोबाइल ग्लोबल, एरीज एग्रो, बर्नपुर सीमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स।
दुनियाभर के बाजारों की मंदी और भारत में आईपीओ का फ्लॉप शो, कुल मिलाकर ऐसे हालात का सबब बन गए, जिसके चलते एम्मार और वोकहार्ड जैसी कंपनियों को मजबूरन अपने आईपीओ को वापस तक लेना पड़ गया।
दिलचस्प बात यह है कि इस बदहाली से पहले यही आईपीओ निवेशकों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बने हुए थे। बिानेस स्टैंडर्ड रिसर्च ब्यूरो आईपीओ इंडेक्स के मुताबिक, 2004 में जो आईपीओ निवेशकों ने लिए थे, वे आज की तारीख तक 180 प्रतिशत तक का फायदा पहुंचा रहे हैं।
इसी तरह 2005 वाले आईपीओ निवेशकों को 137 फीसदी का रिटर्न दे रहे हैं जबकि 2006 में औसतन 115 प्रतिशत का मुनाफा लोगों को मिला।
इसके बाद 2007 आते-आते ये रिटर्न घटकर 27 फीसदी तक आ गया, जो कि 2008 में घाटे का सौदा बन गए।