पिछले कुछ महीनों में फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लांस (एफएमपी) और सावधि जमा (एफडी) दोनों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए होड़ देखी गई है। म्युचुअल फंड विज्ञापनों के जरिये एफएमपी में निवेश के फायदे का गुणगान करते रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ बैंकों ने भी भव्य होर्डिंगों में 10.5 फीसदी या 11 फीसदी का रिटर्न देने की घोषणा की है। यहां हम दोनों निवेश योजनाओं का जिक्र कर रहे हैं और बता रहे हैं कि ये कैसे काम करती हैं। एफएमपी म्युचुअल फंडों द्वारा शुरू किए गए हैं।
इसमें बैंकों के सर्टिफिकेट्स ऑफ डिपोजिट (सीडी), वाणिज्यिक पत्रों और कंपनियों के बॉन्डों और इसी तरह के अन्य इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता है। एफएमपी अपने निवेशकों के लिए ‘इंडिकेटिव रिटर्न’ यानी संभावित प्रतिफल की पेशकश करते हैं। वहीं एफडी के तहत निवेश बैंकों और कुछ गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) में किया जाता है और इसमें उन्हें ‘निश्चित प्रतिफल’ की पेशकश की जाती है।
एफएमपी की ओर से की जाने वाली रिटर्न की पेशकश एफडी की तुलना में सामान्यत: थोड़ी अधिक होती है। मौजूदा समय में एफडी के तहत जमा राशि पर 10-11 फीसदी के रिटर्न की पेशकश की जा रही है वहीं एफएमपी 11-11.5 फीसदी की पेशकश कर रहे हैं।
लांकि हाल के समय में म्युचुअल फंडों की खराब स्थिति के कारण एफएमपी की साख को जोरदार झटका लगा है। इसलिए एफएमपी या एफडी में से निवेश के लिए किसका चयन किया जाना चाहिए। वित्तीय योजनाकारों का कहना है कि हालांकि एफएमपी अतीत में स्थायी प्रतिफल की पेशकश करते रहे हैं, लेकिन अब इसे लेकर सावधानी बरती जानी चाहिए। लीडर 7 फाइनेंशियल प्लानर्स के निदेशक सुरेश सदगोपन ने कहा, ‘मैं कुछ समय के लिए अल्पावधि एफडी की सलाह दे रहा हूं।’
हालांकि एफएमपी में निवेश पर रिटर्न अधिक है, लेकिन मौजूदा बाजार में निवेशक ज्यादा सतर्क हो गए हैं। बहरहाल जो भी हो, शेयर बाजार में आई गिरावट के कारण इक्विटी को लेकर उनका पोर्टफोलियो मुश्किल के दौर से गुजर रहा है।
लेकिन निवेश को बीच में रोक देने या योजना से बाहर निकलने की स्थिति पर बात करें तो एफएमपी की तुलना में एफडी से बीच में ही निकलना ज्यादा आसान है। लेकिन आपको नुकसान दोनों ही योजनाओ में उठाना पड़ता है। उदाहरण के लिए यदि आप 180 दिन की एफडी स्कीम में निवेश करते हैं और 120 दिन में इसे बाहर हो जाते हैं तो आपको सिर्फ 90 दिन का ही ब्याज मिलेगा।
आपका बाकी रिटर्न जुर्माने के तौर पर काट लिया जाएगा। दूसरी तरफ एफएमपी के मामले में अगर आप अवधि पूरी होने से पहले ही निकलते हैं तो इस पर आपको 2 फीसदी का एग्जिट लोड लगेगा।
वहीं कर के मुद्दे को लेकर भी दोनों योजनाओं में काफी फर्क है। एफएमपी में कर लाभ एफडी की तुलना में अधिक है, क्योंकि एफएमपी से प्राप्त होने वाला रिटर्न बेहद कम कर के दायरे में आता है।
इसमें अल्पावधि अवधि के लिए यदि आप लाभांश विकल्प को चुनते हैं, तो ऐसे में आपको 14.28 फीसदी का लाभांश वितरण कर चुकाना होगा। अन्यथा इस रिटर्न को आपकी अन्य आय का एक हिस्सा समझा जाएगा और उसी के अनुरूप इस पर कर लगेगा।
जाहिर है कि कम जोखिम और कम जटिलता के लिहाज से उच्च कराधान के बावजूद एफडी में किया गया निवेश ज्यादा सुरक्षित और स्थाई हैं। लेकिन उन लोगों, जो अधिक जोखिम लेना पसंद करते हैं, के लिए निवेश के लिए एफएमपी एक अच्छा विकल्प है।
जब आप पोर्टफोलियो बना रहे हों तो यह याद रखना चाहिए कि एफएमपी श्रेष्ठ है, लेकिन एफडी इस पोर्टफोलियो का एक स्थायी हिस्सा है।