हांगकांग की एशियानॉमिक्स लिमिटेड के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जिम वॉकर का मानना है कि आने वाले दिनों में उद्योग जगत के लिए और बुरी खबरें सुनने को मिल सकती हैं और जीडीपी के आंकड़े और बिगड़ सकते हैं।
कारोबारी जगत की आय घटने के आसार हैं और बाजार के लिए ये चौंकाने वाले रह सकते हैं। निवेशकों को उन्होंने निवेश में और सावधानी बरतने की सलाह दी है।
जितेंद्र कुमार गुप्ता ने वॉकर से भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार से जुड़े विभिन्न मसलों पर विस्तार से चर्चा की है। पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश:
मौजूदा वैश्विक हालात के बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि बुरे दिन गुजर चुके हैं?
मुझे लगता है कि अभी सबसे बुरे दिन आने बाकी हैं। बुरे दिनों की तो एक तरह से शुरुआत हुई है और आर्थिक गतिविधियों पर इसका असली असर अभी दिखना बाकी है। मुझे लगता है कि अगले साल वैश्विक मंदी देखने को मिलेगी, साथ ही अमेरिका, यूरोप और जापान जैसे देश भी मंदी से जूझते नजर आएंगे।
कोरिया, ताइवान, मलेशिया और सिंगापुर जैसी एशियाई अर्थव्यवस्थाएं जो काफी हद तक विदेशी व्यापार पर निर्भर हैं, उनके जीडीपी में भी गिरावट दर्ज की जा सकती है।
आपको क्या लगता है, भारतीय अर्थव्यवस्था जिन मुश्किलों से गुजर रही है उसकी झलक ही शेयर बाजारों में दिख रही है?
बाजार में तो काफी सुधार आ चुका है। कॉरपोरेट आय में सुधार आया है या नहीं इसका पता तो अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आखिर में या फिर दूसरी तिमाही की शुरुआत में ही लगेगा।
हालांकि शेयर बाजारों में अब बहुत अधिक गिरावट की आशंका नहीं दिखती। अगर बाजार नीचे जाता भी है तो इसमें ज्यादा से ज्यादा 10 फीसदी की गिरावट ही होगी।
विश्व बैंक ने हाल ही में अनुमान व्यक्त किया है कि साल 2008 में वैश्विक जीडीपी 2.5 फीसदी की दर से और 2009 में 0.9 फीसदी की दर से बढ़ेगी।
इसे ध्यान में रखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के बारे में आपके क्या विचार हैं?
हम पहले ही देख चुके हैं कि औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े ऋणात्मक रहे हैं। निर्यात चक्र प्रभावित हो सकता है और साथ ही उद्योग पर भी असर पड़ेगा। वर्ष 2009 में भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर 3 से 5 फीसदी के बीच रह सकती है।
जिन लोगों ने एक बार फिर से शेयर खरीदना शुरू कर दिया है उनके बारे में आप क्या कहेंगे? क्या यह समय शेयर खरीदने के लिए सही है?
कुछ लोग ऐसा मानने लगे हैं कि बुरे दिन बीत चुके हैं और उन्हें सुधार की उम्मीद नजर आने लगी है। अगर वे सोच समझकर और चुनाव के बाद शेयर खरीद रहे हैं तो यह उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। पर अगर मेरी राय पूछी जाए तो मैं जल्दबाजी करने की सलाह नहीं दूंगा।
मैं अगले तीन महीने ठहर कर हालात का जायजा लूंगा और उसके बाद पूरी तरह से शेयर बाजारों में उतरना चाहूंगा। वित्त वर्ष 09 की चौथी तिमाही के बाद स्थितियां और स्पष्ट होंगी।
आपके अनुसार मौजूदा संकट कब तक जारी रहेगा?
मुझे लगता है कि अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल एक और साल तक छाये रह सकते हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 2010 के मध्य तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार आना शुरू होगा।
भारत में ब्याज दरों के बारे में आपकी क्या राय है? ब्याज दरें कितनी घट सकती हैं?
मौजूदा हालात के बीच ब्याज दरें और घटाई जा सकती हैं। रेपो दर 5 फीसदी और सीआरआर 4 फीसदी रह सकती हैं। अगले 6 महीनों में ब्याज दरों में जबरदस्त कटौती की संभावनाएं नजर आती हैं। साथ ही ब्याज दरों में 150 आधार अंकों की कटौती की गुंजाइश भी बनती है।
आने वाले दिनों में सोने को लेकर आपकी क्या राय है?
अगले 12 महीनों में सोना बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगा, ऐसे आसार नहीं दिख रहे हैं। इसकी एक वजह यह है कि हम मान रहे हैं कि जिंसों की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। इसके बाद सोना फिर से चमक सकता है।