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मुनाफे की फसल काट रही है यूपीएल

Last Updated- December 10, 2022 | 8:51 PM IST

यूनाइटेड फॉसफोरस (यूपीएल), एग्रीकेमिकल्स की दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक है। बड़ी बात यह है कि कंपनी उन कुछेक कंपनियों में से भी है, जिन पर मंदी की मार सबसे कम पड़ी है।
हालांकि, दुनिया भर में कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है, लेकिन फिर भी ये दो-तीन साल पहले की कीमतों से ज्यादा ही हैं। मौजूदा स्तर पर भी अनुमान यही है कि दुनिया भर में किसान मुनाफा ही कमा रहे हैं।
फसल सुरक्षा और बीज सेगमेंट्स में मुख्य रूप से काम करने वाली यह कंपनी इसी मुनाफे के दम पर ही चांदी काट रही है। यह कंपनी इस वक्त भारत सहित 80 देशों में कारोबार कर रही है। बड़ी बात यह है कि कंपनी की तरक्की की रफ्तार अभी कम भी नहीं पड़ने वाली है।
अच्छी रणनीति
इस तरक्की में सबसे बड़ा योगदान रहा है, उसकी अलग-अलग क्षेत्रों और उत्पादों में मौजूदगी का। अपनी कंपनियों की अधिग्रहण की रणनीति की वजह से इसने पिछले छह सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में 18 कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसने कंपनी के लिए कई कमाल किए।
बड़ी बात तो यह है कि इसकी वजह से कंपनी की बड़े बाजारों में स्थिति मजबूत हुई। साथ ही, इसकी वजह से कंपनी को नए बाजारों में भी पहुंचने में सहूलियत हुई। इसके अलावा, इससे कंपनी को नए उत्पादों में उतरने में आसानी हुई। 
आज की तारीख में कंपनी की कुल कमाई का 79 फीसदी हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजार से आता है। यह इसकी कमाई का मुख्य स्रोत है। मिसाल के तौर पर पिछली तिमाही में घरेलू बाजार की कमाई में करीब 15 फीसदी का इजाफा हुआ था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार से इसकी कमाई में 43 फीसदी का इजाफा हुआ।
साथ ही, कंपनी ने अपने पांव अलग-अलग इलाकों में भी जमा रखे हैं। अमेरिकी बाजार से होने वाली इसकी कमाई में सिर्फ 9 फीसदी का इजाफा जरूर हुआ, लेकिन यूरोपीय बाजारों से होने वाली कमाई में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है। दूसरी तरफ, बाकी दुनिया से होने वाली कमाई में भी पूरे 53 फीसदी का इजाफा हुआ।
यूरोपीय कंपनी सेरेक्सएग्री का वित्त वर्ष 2006-07 की आखिरी तिमाही में अधिग्रहण करने के बाद यूपीएल, इस बाजार में कमाई के मामले में 11वीं सबसे बड़ी कंपनी बन गई। इससे पहले यह एग्रीकेमिकल्स बाजार की 16वीं सबसे बड़ी खिलाड़ी थी। 1,250-1,300 करोड़ रुपये की सालाना कमाई वाली सेरेक्सएग्री की यूरोपीय और अमेरिकी बाजारों में अच्छी-खासी पैठ थी।
कंपनी ने 2006 में एडवेंता इंडिया के 49.9 फीसदी शेयरों का अधिग्रहण करके अपनी झोली में मौजूद उत्पादों में इजाफा करने के साथ-साथ इस बाजार में अपनी मौजूदगी को मजबूत कर लिया। 2007 में एडवेंता इंडिया की कमाई 430 करोड़ रुपये रही थी, जबकि उसे 43.63 करोड़ का शुध्द मुनाफा हुआ था। एडवेंता ने यूपीएल को तेजी से बढ़ते बीजों के बाजार में मजबूत स्थान दिलाया। यह बीजों के मामले में एक प्रमुख सप्लायर है। इसके पास चावल, कपास, राई, सूरजमुखी, ज्वार और गेहूं के बीजों का अच्छा-खासा स्टॉक मौजूद है। 
मौकों की कमी नहीं
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में एग्रीकेमिकल्स उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ी है, लेकिन जिंसों की कीमतों में गिरावट की वजह से इन कंपनियां की कमाई पर असर पड़ा है।
हालांकि, विश्लेषकों की मानें तो इनका फसल की कुल कीमत में बहुत कम हिस्सा होता है, लेकिन कंपनियां की कमाई पर असर पड़ सकता है। साथ ही, अमेरिका और यूरोप इसके बड़ी खरीदार हैं, जहां 75 फीसदी बाजार गैर-पेटेंट उत्पादों का है। इससे कंपनी को फैलने में मदद मिल सकती है।

First Published - March 23, 2009 | 3:17 PM IST

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