अगली बार आपको यूनिट लिंक्ड बीमा प्लॉन (यूलिप) खरीदने के लिए अधिक दाम चुकाने पड़ेंगे। हालांकि यह उस खास यूलिप योजना और उसे जारी करने वाली कंपनी पर निर्भर होगा।
नए वित्त बिल में किसी भी बीमा कंपनी द्वारा घटाए गए सभी शुल्कों पर सर्विस टैक्स (12.36 फीसदी) लगेगा। इन शुल्कों में, फंड मैनेजमेंट शुल्क, प्रीमियम एलोकेशन शुल्क, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क (यह शुल्क मासिक आधार पर लगता है) के साथ स्विचिंग शुल्क और अन्य शुल्क हैं।
इस माह संसद के दोनों सदनों ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। इसके बाद सभी जीवन बीमा कंपनियों के मुख्य वित्त अधिकारियों ने बुधवार को यह तय किया सेवा कर का भार ग्राहकों पर ही डाला जाएगा। इसकी कई बीमा कंपनियों के अधिकारियों ने पुष्टि कर दी है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार कुछ बीमा कंपनियां ही फंड प्रबंधन शुल्क और पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क पर लगने वाले सर्विस टैक्स को ग्राहकों पर ही लादने पर सहमत हैं, लेकिन अभी इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क पर लगने वाले सर्विस टैक्स को ग्राहकों पर लादा जाए या नहीं।
बीमा कंपनियां किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पसंदीदा फंड पर किए गए निवेश के प्रिमियम से काटेंगी। इसका परिणाम यह होगा कि फंड में निवेश की जाने वाली राशि कम होगी। यहां सर्विस टैक्स सिर्फ पहले साल के प्रिमियम पर ही नहीं देय होगा, यह नवीनीकृत प्रिमियम और किसी भी साल निवेशक द्वारा निवेश किए गए लम सम एमाउंट पर भी देय होगा। इस स्थिति में निवेशक को उस कंपनी के यूलिप्स प्लॉन में निवेश पर नुकसान होगा जिसका शुल्क अधिक है।
अलग-अलग यूलिप्स और बीमा में शुल्क की संरचना अलग-अलग है। पहले साल प्रिमियम एलोकेशन शुल्क शून्य से लेकर 100 प्रतिशत तक है। इसी तरह फंड प्रबंधन शुल्क 0.25 प्रतिशत से लेकर 3 प्रतिशत तक देय है,जबकि पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन शुल्क 50 रुपये प्रतिमाह है। एक वरिष्ठ बीमा अधिकारी के अनुसार सर्विस टैक्स के कारण अब कम प्रिमियम एलोकेशन शुल्क वाले यूलिप प्लॉन लोकप्रिय होंगे।
साथ ही बीमा कंपनियां अपना प्रिमियम एलोकेशन शुल्क कम करने को बाध्य होंगे। वित्तीय वर्ष 2007-08 में बीमा कंपनियों ने 92,988.71 करोड़ रुपये का प्रिमियम एकत्र किया। इसमें यूलिप्स का योगदान 70 प्रतिशत रहा।
केवल कुछ ही निवेशकों ने फंड प्रबंधन शुल्क और नीतिगत प्रशासनिक शुल्क पर सेवा कर देने में अपनी सहमति जताई है। गौरतलब है कि ये दोनों शुल्क ग्राहकों से लेती हैं। लेकिन इस बात पर सहमति बननी बाकी है कि नीतिगत प्रशासनिक शुल्क पर सेवा कर दिया जाए नही। ग्राहक अगर यूलिप में निवेश करना चाहते हैं तो उन्हें घाटा सहने के लिए तैयार रहना चाहिए,क्योंकि इसके दामों में खासा इजाफा हो रहा है।